मध्य प्रदेश में आकार पर थमा है मंत्रिमंडल का गठन

Last Updated 20 Apr 2020 10:43:20 AM IST

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शपथ लिए 29 दिन हो गए हैं, मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। एक तरफ जहां इसकी बड़ी वजह कोरोना वायरस संक्रमण को बताया जा रहा है, वहीं इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। मंत्रिमंडल का आकार क्या होगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।


मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा बगावत कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था और 23 मार्च की रात को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

उसके बाद से ही मंत्रिमंडल गठन के कयास लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इशारों में छोटा मंत्रिमंडल गठित किए जाने की बात कह चुके हैं।

राजनीतिक गलियारों में इस बात की लगातार चर्चा है कि कांग्रेस छोड़कर आए 22 पूर्व विधायकों में से 10 से 12 लोगों को मंत्री बनाने का आपसी समझौता हुआ है । इस मामले में कांग्रेस से बगावत करने वाले की अगुवाई करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस संदर्भ में चर्चा भी हो चुकी है।

बीते दो-तीन दिन से राज्य के मंत्रिमंडल की शपथ लेने की चर्चाएं जोरों पर हैं और यही कहा जा रहा था कि लगभग 10 मंत्री शपथ लेंगे। इसमें सिंधिया समर्थक एक से दो मंत्री हो सकते हैं । इन्हीं चर्चाओं के बीच दिल्ली में सिंधिया ने भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात की और मंत्रिमंडल के गठन की चर्चाओं पर विराम लग गया।

सिंधिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर आए 10 नेता मंत्री बनने की कतार में हैं और उनका मंत्री बनना लगभग तय है। वहीं कोरोना वायरस के चलते छोटे मंत्रिमंडल के गठन की बात हो रही है।

अगर 21 अप्रैल के पहले मंत्रिमंडल शपथ लेता है तो हो सकता है कि कुल 10 से 12 मंत्री शपथ लें और अगर तारीख बढ़ती है तो शपथ लेने वाले मंत्रियों की संख्या 25 के आसपास रहेगी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि 20 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस को लेकर चल रहे लॉकडाउन की स्थिति में कुछ बदलाव आने के आसार हैं, जिससे सिंधिया समर्थक 10 नेताओं को आवश्यक तौर पर मंत्री बनाया जाएगा। इस मसले पर सिंधिया और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की चर्चा भी हो चुकी है।

राजनीति विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं और अब उन्हें अपने समर्थक नेताओं को मंत्री बनाना बड़ी चुनौती है, क्योंकि अगर सिंधिया समर्थक पर्याप्त संख्या में मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा पाते हैं तो सियासी गलियारों में सवाल उठेंगे और संदेश जाएगा कि सिंधिया कुछ कमजोर हुए हैं।

इसीलिए सिंधिया चाहते हैं कि मंत्रिमंडल गठन के समय ही उनके सभी दावेदारों को जगह दिलाई जाए। सिंधिया की मर्जी को भाजपा पूरा करेगी ऐसा संभव भी लगता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री की शपथ लिए शिवराज को 29 दिन हो गए हैं मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाए हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बिना मंत्रिमंडल वाले मुख्यमंत्री का नया कीर्तिमान बना लिया है। उन्हें मुख्यमंत्री बने 29 दिन हो गए हैं और मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। वहीं देखें तो इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस यदियुरप्पा ने 26वें दिन मंत्रिमंडल का गठन किया था।
 

आईएएनएस
भोपाल


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