एसिड और महिलाओं संबंधी कुप्रथा के मामले में सरकार को नोटिस जारी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने और महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं के विरुद्ध सख्त कानून बनाने की मांग को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवायी करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब चार सप्ताह में मांगा है।
(प्रतीकात्मक तस्वीर) |
एक एसिड अटैक पीड़िता और एक समाजसेवी की ओर से दायर की गयी अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवायी गुरुवार को हुयी। युगल पीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किए।
साल 2018 में एक एसिड अटैक में अपनी दोनों आंखें गंवा चुकी याचिकाकर्ता युवती की ओर से पैरवी कर रही महिला अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नियमों के अनुरूप नाम, पता और उद्देश्य जाने बगैर एसिड का विक्रय करना मना है। इसके बावजूद शहर में खुले आम ग्राहक से पूछताछ किये बगैर एसिड का विक्रय किया जा रहा है।
अधिवक्ता ने अपनी दलीलों के समर्थन में अदालत को बताया कि याचिका लगाने के पहले उन्होंने और उनकी टीम ने 50 जगह से एसिड खरीदा, लेकिन किसी भी दुकानदार ने आवश्यक पूछताछ नहीं की।
इससे अलग एक दूसरी जनहित याचिका में हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि महिलाओं को डायन और चुड़ैल बोले जाने के 200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस वजह से महिलाएं आज भी इन कुप्रथाओं को कोप भोगने को मजबूर पायी गयीं। इसके मद्देनजर दोनों ही मामलों में अदालत से सख्त नियम बनाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
दोनों ही याचिकाओं को सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार के विभिन्न जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर दोनों ही मामलों में उठाये गये कदमों और सरकार का पक्ष तलब किया है। दोनों याचिकाओं की आगामी सुनवाई चार सप्ताह बाद हो सकती है।
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