मप्र में कांग्रेस के लिए ‘अभी नहीं तो, कभी नहीं’
मध्य प्रदेश की सत्ता में आने के लिए भरसक प्रयास कर रही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का मानना है कि पिछले 15 वर्षों से राज्य की सत्ता से बाहर देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए ‘अभी नहीं तो, कभी नहीं’ वाली स्थिति है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (file photo) |
प्रदेश में कांग्रेस के शक्तिशाली नेता सिंधिया ने हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी नेताओं के बीच मनमुटाव संबंधी रिपोटरें पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह किसी कुर्सी के पीछे नहीं दौड़ रहे हैं और उनका एकमात्र लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार बनाए। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद सिंधिया ने पिछले छह दिनों में लगभग 48 विधानसभा सीटों का दौरा किया और 26 नवम्बर को प्रचार समाप्त होने से पहले उनकी योजना 50-60 और विधानसभा क्षेत्रों में जाने की है।
चुनाव प्रचार के दौरान सिंधिया ने कहा कि उनकी पार्टी को 26 नवम्बर की शाम पांच बजे तक लगातार कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। जब उनसे पूछा गया कि राज्य की सत्ता में वापस लौटने के लिए क्या कांग्रेस के पास यह बेहतर अवसर है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘सबसे अच्छा है या नहीं ...यह अभी नहीं तो कभी नहीं। पूर्ण विराम। जब मैं अभी नहीं तो कभी नहीं कहता हूं तो यह सब कुछ कहता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, मैं अपनी सारी ऊर्जा कांग्रेस पार्टी के प्रचार अभियान के लिए रखना चाहता था। अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में जो मेरी सीधी जिम्मेदारी है।’
यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी के चुनाव जीतने पर क्या वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे तो ग्वालियर के शाही परिवार के 47 वर्षीय वंशज सिंधिया ने कहा कि जो कुछ भी पार्टी उनके लिए निर्णय लेगी, वह उसका पालन करेंगे। जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी के चुनाव जीतने पर क्या मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए वह चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने एक संक्षिप्त टिप्पणी की कि, ‘हम उस समय देखेंगे।’ उन्होंने कहा,‘‘मेरी एकमात्र आकांक्षा लोगों की सेवा करना है।
उनसे जब पूछा गया कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करना क्या पार्टी की किसी रणनीति का हिस्सा है, सिंधिया ने कहा कि यह उनका और उनकी पार्टी का एक सोचा-समझा निर्णय है। सिंधिया के अलावा कांग्रेस के पास मध्य प्रदेश से कई अन्य प्रभावशाली नेता हैं जिनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शामिल हैं। इस तरह की कुछ रिपोर्टें है कि मुख्यमंत्री पद के लिए सिंधिया और नाथ के बीच लम्बे समय से प्रतिद्वंद्विता चल रही है।
सिंधिया ने कहा कि कुछ चुनाव सव्रेक्षणों ने राज्य में कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ बढ़त दी है लेकिन वह ‘अति आत्मविश्वास’ में नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा,‘हम इस लड़ाई को अपनी अंतिम सांस तक जारी रखेंगे क्योंकि यह लड़ाई मध्य प्रदेश की सत्ता हासिल करने की नहीं है बल्कि यह मेरे राज्य के 7.5 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है।’
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