कई मायनों में अनूठा है रांची में बना बिरसा मुंडा स्मृति संग्रहालय, 15 नवंबर को प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण

Last Updated 12 Nov 2021 02:30:45 PM IST

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों के उगलुगान (क्रांति) के प्रणेता बिरसा मुंडा ने जिस रांची जेल में अपने प्राण त्यागे थे, वहां लोग अब उनकी स्मृतियों को देख सकेंगे।


केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से बिरसा मुंडा स्मृति संग्रहालय सह उद्यान बनकर तैयार है। आगामी 15 नवंबर को उनकी जयंती के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका ऑनलाइन लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री इस दिन भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे और वहीं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित अन्य अतिथि रांची से जुड़ेंगे। रांची में स्थापित इस संग्रहालय एवं उद्यान के निर्माण में कुल 142 करोड़ की लागत आयी है और इसमें केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों ने सहयोग किया है। यह स्मृति स्थल कई मायनों में अनूठा है। यहां भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंचाई की प्रतिमा स्थापित की गयी है, जिसका निर्माण जाने-माने मूर्तिकार श्री राम सुतार के निर्देशन में हुआ है। रांची शहर के बिल्कुल बीचोबीच स्थित इस परिसर में पहले सेंट्रल जेल हुआ करती थी, जिसे लगभग एक दशक पहले होटवार नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। अब यह पुरानी और ऐतिहासिक जेल परिसर ऐसे संग्रहालय के रूप में विकसित होकर तैयार है, जहां बिरसा मुंडा के साथ-साथ 13 जनजातीय नायकों की वीरता की गाथाएं प्रदर्शित की जायेंगी।

सिदो-कान्हू,नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया,जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत जैसे जनजातीय सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अद्भुत लड़ाई लड़ी थी। इन सभी की प्रतिमाएं भी संग्रहालय में लगायी गयी हैं। इन सभी के जीवन और संघर्ष की गाथा यहां लेजर लाइटिंग शो के जरिए लोगों प्रदर्शित की जायेगी। जेल के जिस कमरे में बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी, वहां भी उनकी एक प्रतिमा लगायी गयी है। पास के स्थल को इस तरह विकसित किया गया है कि वहां बिरसा की जन्मस्थली उलिहातू की झलक दिखे।

जेल के एक बड़े हिस्से को अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है। इसकी दीवारों को मूल रूप में संरक्षित किया गया है। इसमें पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली गयी है। जेल का मुख्य गेट इस तरह बनाया गया है कि वहां 1765 के कालखंड की स्थितियां और उस वक्त आदिवासियों के रहन-सहन और जीवन शैली को जीवंत किया जा सके। जेल का अंडा सेल, अस्पताल और किचन को भी पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है।

संग्रहालय से जुड़े उद्यान में म्यूजिकल फाउंटेन, इनफिनिटी पुल और कैफेटेरिया का भी निर्माण कराया गया है। फाउंटेन के पास जो शो चलेगा, उसमें झारखंड के बाबाधाम देवघर, मां छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा, मां भद्रकाली मंदिर इटखोरी एवं पाश्र्वनाथ के ²श्य दिखेंगे। जेल के महिला सेल में महिला कैदियों के रहन-सहन की झलक मिलेगी। साथ ही जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक जेवर, गहने, पहनावा को प्रदर्शित किया जायेगा।

आईएएनएस
रांची


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment