छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जड़ी-बूटियों के जानकार, देते हैं पथरी की अचूक दवा

Last Updated 12 Dec 2023 11:37:50 AM IST

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खेती किसानी में रुचि रखने वाले राजनेता तो है हीं, साथ में वे जड़ी-बूटियों के जानकार भी हैं। भले ही उनके पास चिकित्सा की कोई उपाधि न हो, मगर वे पथरी की अचूक दवा देते हैं।


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री के जीवन के पहलुओं पर गौर करें तो पता चलता है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को जनसंघ की विरासत अपने दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय से मिली। उनके दादा स्वतंत्रता के पश्चात सन् 1947 से 1952 तक तत्कालीन सीपी एंड बरार विधानसभा में मनोनीत विधायक भी रहे। साय का परिवार शुरू से ही जनसंघ से जुड़ा रहा।

उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय वर्ष 1977-79 तक जनता पार्टी सरकार में संचार राज्य मंत्री रहे। जिला मुख्यालय जशपुर से 57 किलोमीटर दूर छोटे से आदिवासी बहुल गांव बगिया के निवासी मुख्यमंत्री साय किसान परिवार से आते हैं।

बगिया की प्राथमिक शाला में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कुनकुरी के लोयोला मिशनरी स्कूल में एडमिशन लिया। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह अंबिकापुर गए। जब वह प्रथम वर्ष में थे, तभी उनके पिता रामप्रसाद साय का निधन हो गया।

घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह पढ़ाई छोड़कर गांव वापस आ गए।

मुख्यमंत्री साय खेती किसानी में बहुत रुचि रखते हैं। नदी के तट पर अपने घर में वह सब्जियां उगाते हैं। कोरोना काल में वह गांव में सब्जी उगाते रहे और अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे।

उन्होंने मैनी नदी पर पुल बनवाया। नदी की रेत में खीरा, ककड़ी, मूंगफली आदि की खेती के लिए गांव के किसानों को प्रेरित किया। उनके प्रयासों से गांव में कृषि के क्षेत्र में उन्नति हुई है।

मुख्यमंत्री साय जंगली जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकार हैं। वह पथरी की अचूक दवा देते हैं। उनके कई लाभार्थी उनकी दवा की प्रशंसा करते हैं।

साय की मां जसमनी देवी ने बेटे के मुख्यमंत्री बनने पर कहा, "मेरे बेटे बाबू (विष्णु देव का निकनेम) ने सबसे पहले परिवार की सेवा की, फिर गांव की सेवा की, विधायक, सांसद, मंत्री रहकर क्षेत्र की सेवा की, अब मुख्यमंत्री बनकर राज्य की सेवा करेगा।"

पढ़ाई के लिए किए गए अपने संघर्ष को अक्सर याद करते हुए विष्णु देव साय कहते हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र में स्कूलों के विकास पर सदैव ध्यान दिया। अपने गांव में जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने प्राइमरी की पढ़ाई की थी, वह अब हाईस्कूल बन गया है।

आईएएनएस
रायपुर


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