प्रशांत किशोर ने लगाई बिहार की राजनीति में सेंध

Last Updated 07 Apr 2023 06:24:10 PM IST

बिहार विधान परिषद की 5 सीटों के चुनाव परिणामों ने बहुत कुछ संदेश दे दिया है। भाजपा और जदयू को दो-दो सीटें मिलना आश्चर्य की बात नहीं है, बल्कि यह अपेक्षित था। लेकिन प्रशांत किशोर ने सबको चौका दिया है। जन सुराज पदयात्रा करने के दौरान प्रशांत किशोर के लिए यह पहला चुनाव था।


प्रशांत किशोर ने लगाई बिहार की राजनीति में सेंध

प्रशांत पिछले कई महीनों से बिहार का दौरा कर रहे हैं। विधान परिषद चुनाव परिणाम के बाद बिहार का समीकरण कुछ बदलने वाला है। बिहार के लिए सबसे पहली परीक्षा 2024 का लोकसभा चुनाव है। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार की सभी 40 सीटों पर जीतने का दावा किया है।

उधर महागठबंधन भी कमोबेश ऐसा ही दावा कर रहा है, लेकिन विधान परिषद चुनाव के परिणामों ने यह बता दिया है कि बिहार की राजनीति में प्रशांत कुमार सेंध लगा चुके हैं। कोसी की सीट जेडीयू के खाते में गई है। यहां से संजीव कुमार सिंह विजयी हुए हैं। गया से भाजपा के दोनों उम्मीदवार जीते हैं। स्नातक सीट पर अवधेश नारायण सिंह जबकि शिक्षक वाली सीट पर जीवन कुमार विजयी हुए हैं। सारण की स्नातक सीट जदयू के खाते में गई है। यहां से वीरेन्द्र यादव विजयी हुए हैं। जबकि सारण की शिक्षक सीट पर प्रशांत किशोर के समर्थन से अफाक अहमद विजयी हुए हैं।

आमतौर पर यह  चुनाव सामान्य चुनाव से अलग होता है । शिक्षक सीट  के लिए जहां अध्यापक वोटिंग करते हैं वहीं स्नातक सीट के लिए वो लोग वोटिंग करते हैं, जिन्होंने स्नातक किया हुआ है। हर पार्टी अपने-अपने हिसाब से वोटर बनाती है।  क्योंकि वोटर बनाते समय हर पार्टी के नेता वोटरों से सीधे मिलते हैं। वोटरों से उनका सीधा जुड़ाव हो जाता है। ऐसे में यही माना जाता है कि जो स्थापित पार्टियां है उन्ही पार्टियों के उम्मीदवार विजयी होंगे, लेकिन प्रशांत किशोर ने इस चलन को झूठा साबित कर दिया। प्रशांत कुमार पिछले कई महीनों से जन सुराज पैदल यात्रा कर रहे हैं, और लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोग वोट करें, तभी बिहार का भला हो पाएगा। उनकी आवाज लोगों ने सुनी। उनकी बातों पर लोगों ने भरोसा जताया। जिसका परिणाम है कि  सारण की एक सीट पर उनका समर्थित उम्मीदवार विजयी  हुआ। 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। प्रशांत किशोर की जिस तरीके से एंट्री हुई है, उससे बहुतों  का खेल बिगड़ सकता है।

बिहार की जनता, जो जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट करना चाहती है, वह निश्चित तौर पर प्रशांत किशोर के साथ खड़ी होती हुई  दिखाई देगी। विधान परिषद के चुनाव परिणामों से एक बात तो साबित हो जाती है कि बिहार में आने वाले चुनाव में जन सुराज की धमक देखने को जरूर मिलेगी।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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