Bharat Bandh: भारत बंद आज... ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों की आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित
ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक लोग बुधवार को नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में देश भर में हड़ताल पर जाएंगे। कर्मचारियों की हड़ताल से बैंकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है।
![]() |
देश में 10 केंद्रीय श्रम संगठनों के एक मंच की बुधवार को देशभर में आहूत हड़ताल से डाक, बैंकिंग, बिजली, सार्वजनिक परिवहन समेत कई अन्य सेवाएं प्रभावित हुईं।
मंच ने दावा किया है कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ नयी श्रम संहिताओं के विरोध में 25 करोड़ श्रमिकों को ‘‘आम हड़ताल’’ के लिए लामबंद किया जा रहा है।
अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने ‘न्यूज एजेंसी’ को बताया कि बुधवार सुबह देशभर में आम हड़ताल शुरू हो गई। उन्हें पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से हड़ताल की खबर और तस्वीरें मिली हैं।
उन्होंने कहा कि हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित होंगी। इससे तांबा और कोयला खनन प्रभावित होगा, जबकि कई राज्यों में सार्वजनिक परिवहन पर भी इसका असर पड़ेगा।
कौर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान संगठन भी अपने क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की झारखंड इकाई के महासचिव सुवेंदु सेन ने कहा, ‘‘कोयला श्रमिकों की हड़ताल के कारण कोयले का उत्पादन और उसका परिवहन पूरी तरह से रुक गया है। बैंकिंग क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में दैनिक कारोबार भी प्रभावित होगा।’’
उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रमिक संगठनों और वामपंथी दल चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने सहित अपनी 17 सूत्री मांगों के समर्थन में रांची में संयुक्त रूप से दो रैलियां निकालेंगे। हालांकि राज्य की राजधानी रांची की सड़कों और बाजारों में हड़ताल का असर अब तक नहीं देखा गया है।
वहीं केरल में पूर्ण बंद है। दुकानें, संस्थान एंव अधिकतर सेवाएं बंद हैं। बसें सड़कों से नदारद रहीं तथा विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाते हुए काम नहीं किया जिससे सड़कें सुनसान रहीं। स्वास्थ्य सेवा, आपातकालीन सेवाएं तथा दूध आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को हालांकि हड़ताल से छूट दी गई है ताकि आम लोगों को परेशानी नहीं हो।
श्रम संगठनों की मांगों में चार श्रम संहिताओं को खत्म करना, ठेका प्रणाली समाप्त करना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना तथा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है।
इसके अलावा किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के सूत्र के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों के लिए ऋण माफी की मांग भी कर रहे हैं।
| Tweet![]() |