बिना सुरक्षा के बिहार के किसी गांव में नहीं चल सकते नीतीश : प्रशांत किशोर

Last Updated 28 Nov 2022 05:17:16 PM IST

चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार सियासी हमला बोलते हुए कहा कि आज स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके शासनकाल के लिए लोग अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार बिहार के किसी गांव में बिना सुरक्षा और सरकारी अमला के पैदल नहीं चल सकते।


चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में अफसरशाही, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। बिना पैसा दिए एक काम नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अगर लालू प्रसाद का शासनकाल 'अपराधियों का जंगलराज' था तो नीतीश कुमार का शासनकाल 'अधिकारियों का जंगलराज' है।

किशोर जन सुराज पदयात्रा के 58 वें दिन सोमवार को पूर्वी चंपारण के रामगढ़वा पहुंचे जहां पत्रकारों से उन्होंने बात की। किशोर ने बताया कि 2 अक्तूबर से शुरू हुए पदयात्रा के माध्यम से अबतक वे पश्चिम चंपारण से चलकर पूर्वी चंपारण जिले पहुंचे हैं। पदयात्रा का उद्देश्य है कि बिहार के सभी पंचायतों के विकास का 10 साल का ब्लूप्रिंट तैयार करना, जिसमें पंचायत आधारित समस्यायों और उसके समाधान का पूरा विवरण होगा।

प्रशांत किशोर ने बिहार की बदहाली का जिक्र करते हुए बताया कि जिन गांवों और पंचायतों में जाने का मौका मिला है, वहां पलायन की समस्या बहुत बड़ी है। गांवों में 60 प्रतिशत तक नवयुवक नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल की सबसे बड़ी नाकामी है बिहार में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना।

बिहार में भूमिहीनों की समस्या का जिक्र करते हुए किशोर ने कहा कि बिहार में गरीबी और बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है बड़ी संख्या में भूमिहीनों का होना। आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 58 फीसदी लोग भूमिहीन हैं जबकि देश में भूमिहीनों की संख्या 38 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि देश का सी डी रेशियो यानी बैंकों में जमा होने वाली कुल राशि का ऋण के लिए उपलब्ध होना। देश के अग्रणी राज्यों में ये अनुपात 90 फीसदी है जबकि बिहार में ये अनुपात 40 प्रतिशत है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में अफसरशाही, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। वर्ष 2014 के नीतीश कुमार और 2017 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 2020 में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद भी कुर्सी पर किसी तरह बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ होते हैं तब उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की याद नहीं आती, भाजपा से अलग होते ही वे विशेष राज्य के दर्जे की मांग करने लगते हैं।

बिहार बढ़ती जनसंख्या के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि जनसंख्या को संतुलित रखने के लिए टोटल फार्टीलिटी रेट 2.1 होना चाहिए, जबकि बिहार में ये 3 से ऊपर है। इसके लिए जरूरी है कि परिवार नियोजन के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए, लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाया जाए और लोगों को शिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि कानून बनाकर जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

आईएएनएस
मोतिहारी (बिहार)


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