ललन सिंह का आरोप, मणिपुर में जदयू के विधायकों को भाजपा में शामिल करने में धन-बल का प्रयोग किया गया

Last Updated 03 Sep 2022 03:56:37 PM IST

मणिपुर में अपने अधिकांश विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के एक दिन बाद जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू)ने शनिवार को अपने पूर्व सहयोगी पर निशाना साधा और अन्य दलों के विधायकों को फंसाने के लिए ‘‘धन बल’’ का उपयोग करने का आरोप लगाया।


जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा ने मणिपुर में वही किया जो उसने पहले दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किया था।’’
उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश में हमने सात सीटें और मणिपुर में छह सीटें जीती थीं और दोनों राज्यों में हमने सीधे भाजपा को हराकर चुनाव जीता था। 2020 में अरूणाचल प्रदेश में भी यही किया गया जबकि तब हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा थे। गठबंधन धर्म, नैतिकता का पाठ पढाने वाले भाजपा के लोगों ने बाद में सात में छह विधायकों को तोड़ लिया और एक को हाल में अपने दल में मिला लिया है। लेकिन मणिपुर में जो कुछ भी हुआ, वहां धन-बल का प्रयोग किया गया है।’’

यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है जब पार्टी यहां अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रही है और बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेता नीतीश कुमार को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी भूमिका के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है।

लगभग चार दशकों से नीतीश कुमार के साथ जुड़े ललन ने कहा, ‘‘भाजपा चाहे जो भी चाल चले, वह 2023 तक जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनने से नहीं रोक पाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को अपने बारे में चिंता करनी चाहिए। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा और किसी ने 42 रैलियों को संबोधित नहीं किया लेकिन पार्टी 243 सदस्यीय विधानसभा में 53 सीटें ही जीत सकी थी। उन्हें 2024 में अपने भाग्य के बारे में सोचना चाहिए। पूरा विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट होगा।’’

मोदी के हालिया आरोप कि विपक्षी दल भ्रष्ट लोगों की रक्षा के लिए जुटे हुए हैं, इसका जिक्र करते हुए जदयू प्रमुख ने कटाक्ष किया, ‘‘भाजपा अन्य दलों के साथ जो कर रही है वह सदाचार है, लेकिन धन बल के उसके खुले इस्तेमाल के खिलाफ एक संयुक्त लड़ाई भ्रष्टाचार है। प्रधानमंत्री ने इसे फिर से परिभाषित किया है।’’

उन्होंने बिहार भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की उस टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें सुशील मोदी ने कहा था कि अरुणाचल और मणिपुर के बाद बिहार जहां पार्टी को अपने बड़े सहयोगी लालू प्रसाद की पार्टी राजद द्वारा विभाजित किया जा सकता है, के ‘‘जदयू मुक्त’’ बनने की बारी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर तीखा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सुशील मोदी को अपने केंद्रीय नेतृत्व का दिवास्वप्न बेचने दें। इससे उन्हें राजनीतिक वनवास से बाहर आने में मदद मिल सकती है।’’
 

भाषा
पटना


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