बिहार : गरीब कल्याण योजना के जरिये प्रवासी श्रमिकों को भुनाने में जुटी भाजपा-जेडीयू गठबंधन
Last Updated 27 Jun 2020 04:31:14 PM IST
कोरोना काल में बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को तत्काल रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार की कोशिशें जारी है।
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बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुये इन कोशिशों में तेजी लायी जा रही है। इसी रणनीति के तहत पहले केन्द्र ने बिहार के खगड़िया से गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की और राज्य के 23 जिलों को इस योजना के अंर्तगत लाया गया।
अब राज्य सरकार ने राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने और प्रवासी श्रमिकों को लुभाने के लिये नई औद्योगिक नीति का एलान किया है।
बिहार सरकार के आंकड़े के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से 25 लाख से अधिक प्रवासी बिहारी मजदूरों की घर वापसी हुई है। ये संख्या आगामी विधानसभा चुनाव के हिसाब से किसी भी राजनीतिक पार्टी की जीत हार के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में जेडीयू और भाजपा गठबंधन दोनों ही, इन योजनाओं के प्रचार और प्रसार में जोर शोर से लग गयी है।
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार के खगड़िया से 'गरीब कल्याण योजना' की शुरुआत और योजना पर 50 हजार करोड़ के फंड की व्यवस्था करने को भुनाया जा रहा है। प्रदेश भाजपा ने बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं को इस योजना के बारे में प्रचार करने को कहा है। पार्टी ने इस सबंध में उन सभी 23 जिलों के नेता और कार्यकर्ताओं को विशेष निर्देश दिया हैं, जहां यह योजना लागू की जा रही है।
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक नितिन नवीन कहते हैं, "बिहार सरकार की उद्योग नीति, आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री के 'लोकल से वोकल' योजनाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हम लोकल उत्पादों को ही आगे बढ़ाकर और स्थानीय प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कर आगे बढ़ सकते हैं। सरकार ने सभी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की है और हम सबको उनके हुनर के मुताबिक काम भी दे रहे है, ऐसे में इसको चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है।"
उधर विपक्ष भी इन दो बड़ी योजनाओं पर सजग हो गयी है। विपक्ष एक ओर केन्द्र की योजना पर अल्पकालिक कहकर सवाल उठा रही है, वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार की औद्योगिक नीति के औचित्य पर सवाल खड़े कर रही है। रालोसपा के प्रधान महासचिव माधव आंनद कहते हैं, "बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य में कोई भी निवेशक क्यों आयेगा, जब तक उनको टैक्स होलीडे का छूट नहीं मिलता और जब तक कानून व्यवस्था यहां ठीक नहीं होती है।"
इस बीच आरजेडी ने भी प्रवासी श्रमिकों के सवाल पर राज्य सरकार को नये सिरे से घेरना शुरू कर दिया है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो ट्वीट कर कहा है, "राज्य में श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। कहीं कोई रोजगार नहीं है। जो प्रवासी आये थे, अब रोजगार के आभाव में लौट रहे हैं।"
ऐसे में जेडीयू-भाजपा सरकार लगातार इस कोशिश में लग गयी है कि ऐसी घोषणाओं से प्रवासी मजूदरो में विश्वास की भावना जगे और इसका आगामी विधानसभा चुनाव पर सकारात्मक असर पड़े।
अब राज्य सरकार ने राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने और प्रवासी श्रमिकों को लुभाने के लिये नई औद्योगिक नीति का एलान किया है।
बिहार सरकार के आंकड़े के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से 25 लाख से अधिक प्रवासी बिहारी मजदूरों की घर वापसी हुई है। ये संख्या आगामी विधानसभा चुनाव के हिसाब से किसी भी राजनीतिक पार्टी की जीत हार के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में जेडीयू और भाजपा गठबंधन दोनों ही, इन योजनाओं के प्रचार और प्रसार में जोर शोर से लग गयी है।
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार के खगड़िया से 'गरीब कल्याण योजना' की शुरुआत और योजना पर 50 हजार करोड़ के फंड की व्यवस्था करने को भुनाया जा रहा है। प्रदेश भाजपा ने बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं को इस योजना के बारे में प्रचार करने को कहा है। पार्टी ने इस सबंध में उन सभी 23 जिलों के नेता और कार्यकर्ताओं को विशेष निर्देश दिया हैं, जहां यह योजना लागू की जा रही है।
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक नितिन नवीन कहते हैं, "बिहार सरकार की उद्योग नीति, आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री के 'लोकल से वोकल' योजनाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हम लोकल उत्पादों को ही आगे बढ़ाकर और स्थानीय प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कर आगे बढ़ सकते हैं। सरकार ने सभी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की है और हम सबको उनके हुनर के मुताबिक काम भी दे रहे है, ऐसे में इसको चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है।"
उधर विपक्ष भी इन दो बड़ी योजनाओं पर सजग हो गयी है। विपक्ष एक ओर केन्द्र की योजना पर अल्पकालिक कहकर सवाल उठा रही है, वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार की औद्योगिक नीति के औचित्य पर सवाल खड़े कर रही है। रालोसपा के प्रधान महासचिव माधव आंनद कहते हैं, "बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य में कोई भी निवेशक क्यों आयेगा, जब तक उनको टैक्स होलीडे का छूट नहीं मिलता और जब तक कानून व्यवस्था यहां ठीक नहीं होती है।"
इस बीच आरजेडी ने भी प्रवासी श्रमिकों के सवाल पर राज्य सरकार को नये सिरे से घेरना शुरू कर दिया है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो ट्वीट कर कहा है, "राज्य में श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। कहीं कोई रोजगार नहीं है। जो प्रवासी आये थे, अब रोजगार के आभाव में लौट रहे हैं।"
ऐसे में जेडीयू-भाजपा सरकार लगातार इस कोशिश में लग गयी है कि ऐसी घोषणाओं से प्रवासी मजूदरो में विश्वास की भावना जगे और इसका आगामी विधानसभा चुनाव पर सकारात्मक असर पड़े।
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