दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा

Last Updated 10 Jul 2025 02:00:29 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज से संबंधित कार्यवाही में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों पर बृहस्पतिवार को संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांगा।


न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची की शीर्ष अदालत की एक पीठ ने बुधवार को फिल्म की स्क्रीनिंग को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और मौखिक रूप से कहा, ‘‘फिल्म को रिलीज होने दें’’।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब हत्या के मामले में एक आरोपी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि फिल्म की रिलीज से मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उच्च न्यायालय ने बुधवार को ‘उदयपुर फाइल्स’ के निर्माता को निर्देश दिया कि वे उन लोगों के लिए इसकी स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें जो इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली है।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत की पूर्व में की गई टिप्पणियों का हवाला दिया और वकीलों से पूछा कि क्या शीर्ष अदालत ने फिल्म की रिलीज की अनुमति दी है।

उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘हमने अखबारों में देखा कि मामला उच्चतम न्यायालय में था, जिसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि फिल्म की ‘स्क्रीनिंग होने दें’।’’

फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय से केवल मामले को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था, स्थगन का नहीं।

सिब्बल ने फिल्म की रिलीज के संबंध में बुधवार को उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए समय का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘अपील को अस्वीकार किया गया है, स्थगन के अनुरोध को नहीं। उच्चतम न्यायालय ने मामले की फाइल भी नहीं देखी’’

इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के संबंध में मीडिया में खबरें आई हैं।

उच्च न्यायालय दोपहर ढाई बजे याचिका पर फिर से सुनवाई करेगा।

उदयपुर के एक दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।

हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा के सोशल मीडिया खाते पर कथित तौर पर साझा किए एक पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी।

इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

भाषा
नई दिल्ली


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