नहीं रहे मानवाधिकारवादी चिंतक चितरंजन सिंह

Last Updated 28 Jun 2020 02:12:18 AM IST

देश के जाने-माने मानवाधिकारवादी चिंतक व पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह का शुक्रवार की रात को बांसडीह तहसील के सुल्तानपुर स्थित उनके पैतृक निवास पर निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।


मानवाधिकारवादी चिंतक व पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह

उनके निधन का समाचार मिलते ही जनपद भर में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को घाघरा नदी तट पर किया गया जहां वो पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी अंतिम यात्रा में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ प्रशासनिक अधिकारी व तमाम दिग्गजों का हुजूम उमड़ा रहा।

इधर बीच चितरंजन सिंह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। इसमें 18 जून को उनकी तबीयत अत्यधिक खराब होने पर उन्हें शहर के एक निजी र्नसंिग होम में भर्ती कराया गया था। जहां से 21 जून को चिकित्सकों ने उन्हें वाराणसी रेफर कर दिया था। 22 जून को बीएचयू वाराणसी के चिकित्सक ने उन्हें घर ले जाने की सलाह दी थी। तभी बांसडीह तहसील अंतर्गत स्थित सुल्तानपुर उनके पैतृक आवास पर उनका उपचार के साथ देखभाल चल रहा था। उनके अंतिम संस्कार में जहां इलाका के लोगों का हुजूम रहा तो श्रद्धांजलि देने पहुंचे हस्तियों का भी तांता लगा रहा है।

स्व. सिंह ने मानवाधिकार की लड़ाई के साथ कई निर्णायक लड़ाईयां लड़ीं। स्व.सिंह लोकनायक जयप्रकाश नारायण से काफी प्रभावित रहते थे तो उनमें अगाध श्रद्धा थी। उनके नेतृत्व में कोकाकोला के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई तो भूख से हुई मौत को लेकर लंबे समय तक संघर्ष चला। उन्होेंने काला कानून के विरूद्ध जागरूकता अभियान चलाया तो पुलिस द्वारा किए गए फर्जी मुठभेड़ को लेकर लड़ाई लड़ी। सिंह इलाहाबाद विविद्यालय के छात्र जीवन से ही वैचारिक प्रतिबद्धता एवं सामाजिक सरोकारों की राजनीति से जुड़े रहे।

सहारा न्यूज ब्यूरो
बलिया


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment