‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ राष्ट्रपति के अभिभाषण की शुरुआत और समापन

Last Updated 31 Jan 2017 12:22:09 PM IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र को समय से पहले आहूत करने और उसके साथ ही रेल बजट को विलय करने का उल्लेख करते हुए आज कहा कि लोकतंत्र के इस उत्सव के मूल्य एवं संस्कृति देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते फूलते रहे हैं.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

उनके संबोधन की शुरुआत और समापन ‘सबका साथ, सबका विकास’ उक्ति से हुई.

बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में अपने अभिभाषण की शुरूआत में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र है जिसमें स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र के निर्धारित समय को इस वर्ष आगे किया गया और आम बजट के साथ रेल बजट का विलय किया जा रहा है.’’

मुखर्जी ने कहा, ‘‘हम एक ऐसे लोकतंत्र के उत्सव के लिए पुन: एकत्र हुए हैं जिसके मूल्य और संस्कृति इस देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते फूलते रहे हैं. वास्तव में इसी संस्कृति ने मेरी सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की ओर प्रेरित किया.’’

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के अंत में कहा कि आज हम यहां एकत्रित हुए हैं कि हम अपने देशवासियों, विशेषकर गरीब नागरिकों द्वारा संसद जैसी पवित्र संस्था के प्रति दर्शाये गए विश्वास को बनाए रख सकें.

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा हर कदम लोकतंत्र के इस मंदिर में देश के निर्माण के लिए किये गए असंख्य बलिदानों की वेदी में आहूति होगी. हम सब मिलकर ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से ओत प्रोत होकर ऐसे भविष्य का निर्माण करें जिससे सभी को संविधान में प्रदत्त समानता और गरिमा प्राप्त हो सके.’’

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारी सभ्यता चिरकाल से ही ‘सहनाववतु, सह नौ भुनक्तु’ जैसे महान सिद्धांतों से प्रेरित है जिसका अर्थ है कि हम परस्पर दोनों साथ साथ एक दूसरे की रक्षा करें, हम दोनों का साथ साथ पोषण करें.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष महान सिख गुरू गुरू गोविंद सिंह जी की तीन सौ पचासवीं जयंती है. हम महान संत, दार्शनिक रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती भी मना रहे हैं. इन महान विभूतियों द्वारा दिखाया गया आलोकित पथ सामाजिक परिवर्तन और सुधार का पथ है जो सबके लिए प्रकाश स्तम्भ है और मेरी सरकार के लिए प्रेरणादायी है.

मुखर्जी ने कहा कि इस वर्ष हम चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी मना रहे हैं जिसने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी और औपनिवेशिक ताकतों से लड़ने के लिए भारत की जनशक्ति को प्रेरित किया था.    

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के सत्याग्रह के आदर्शों ने प्रत्येक भारतीय के मन में अदम्य साहस, अत्मविश्वास और जनहित के लिए बलिदान की भावना भर दी. आज यही जनशक्ति हमारी सबसे बड़ी ताकत है.

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment