मेरे प्रतिद्वंद्वी न तो दिखायी दे रहे हैं और न ही कुछ बोल रहे हैं: सुदर्शन रेड्डी का तंज

Last Updated 02 Sep 2025 10:19:49 AM IST

उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने सोमवार को आरोप लगाया कि उनके प्रतिद्वंद्वी एवं सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन न तो दिखायी दे रहे हैं और न ही बोल रहे हैं।


रेड्डी ने कहा कि अगर वह बोलते तो एक स्वस्थ बहस संभव होती।

सुदर्शन रेड्डी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए। सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि वह एक स्वस्थ बहस के पक्षधर हैं और उनका इरादा अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में अपमानजनक बातें कहने का नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे प्रतिद्वंद्वी दिखाई नहीं दे रहे हैं। वह बोलते नहीं हैं। पता नहीं वह कहां हैं, क्या कर रहे हैं। अगर दोनों उम्मीदवार बोलेंगे तो बहस होगी, बातचीत होगी। लोगों से परिचय कराने का एक मौका होगा। सिर्फ मतदाताओं से नहीं। मुझे वह मौका नहीं मिला।’’

टिप्पणी को विस्तार से समझाने के लिए कहे जाने पर सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी इस दृष्टिकोण से की है कि यदि राधाकृष्णन भी बोलते तो एक स्वस्थ बातचीत होती।

यह पूछे जाने पर कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत के सामने सबसे बड़ी संवैधानिक चुनौती क्या है, रेड्डी ने कहा कि संविधान के सामने सबसे गंभीर चुनौती महान संवैधानिक संस्था - भारत के निर्वाचन आयोग - की कार्यप्रणाली में ‘‘खामी’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा... मेरा यही मानना ​​है।’’

मुख्यमंत्री रेड्डी द्वारा उन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन का उम्मीदवार बताए जाने संबंधी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देते हुए सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि अब वह "विपक्षी दलों के उम्मीदवार" हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) जैसे उन दलों का भी समर्थन प्राप्त है जो ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नहीं हैं।

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना संविधान के साथ उनकी 53 वर्ष की लंबी यात्रा का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव भारत के हालिया इतिहास में अब तक लड़े गए सबसे निष्पक्ष और सभ्य चुनावों में से एक होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश बहुसंख्यकवादी नहीं है। हमारा समाज बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक है। संविधान किसी को भी शक्ति नहीं देता। संविधान का काम आपकी शक्ति को सीमित करना है।’’

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब देश में संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अपनी चमक खो रही हैं, आवाज़ उठाना सिर्फ़ उनका ही नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।

बाद में, ‘तेलंगाना यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ द्वारा आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि यदि सदन का पीठासीन अधिकारी निष्पक्ष हो तथा सदस्यों में निष्पक्षता की भावना हो तो संसद में इतना व्यवधान नहीं होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ये व्यवधान इसलिए हुए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे व्यथित हैं। हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। यही समस्या का मूल कारण है।’’

रेड्डी ने कहा कि अगर वह उपराष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो संविधान की रक्षा करना उनका कर्तव्य होगा। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने सुदर्शन रेड्डी द्वारा सभी सांसदों को लिखा गया एक पत्र जारी किया।

उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार ने कहा कि यह पत्र सांसदों से व्यक्तिगत रूप से (समर्थन के लिए) अपील करता है। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा पत्र लिखने का अधिकार है क्योंकि वह किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हैं।

हालांकि, संवाददाता सम्मेलन में पत्र तुरंत मीडिया के साथ साझा नहीं किया गया।

अपने संबोधन में, मुख्यमंत्री ने कहा कि नीलम संजीव रेड्डी, पी वी नरसिंह राव, एन टी रामाराव, एस जयपाल रेड्डी और एम वेंकैया नायडू जैसे तेलुगु नेताओं ने राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभायी है, लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर तेलुगु नेता लगभग न के बराबर हैं।

उन्होंने तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू, जन सेना पार्टी के अध्यक्ष एवं आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाई एस जगन मोहन रेड्डी, बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी से सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी का समर्थन करने का आग्रह किया।

उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 42 लोकसभा सदस्यों और 18 राज्यसभा सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से अपील की कि वे राष्ट्रीय राजनीति में एक तेलुगु नेता के महत्व को बढ़ावा देने के लिए अपनी अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करें।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस आरोप कि सुदर्शन रेड्डी ने नक्सलवाद का "समर्थन" किया था और दावा किया था कि सलवा जुडूम के फ़ैसले ने वामपंथी आंदोलन को 2020 से पहले ख़त्म होने से रोक दिया था, रेवंत रेड्डी ने नक्सलवाद को एक ‘‘विचारधारा’’ करार दिया।

उन्होंने कहा "अगर आपको कोई विचारधारा पसंद नहीं है, तो आप (उसके ख़िलाफ़) बहस कर सकते हैं आप जीत सकते हैं। लेकिन, आप उसे ख़त्म नहीं कर सकते... आप गोलियां नहीं चला सकते।’’

भाषा
हैदराबाद


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment