एकता के लिए एकरूपता की जरूरत नहीं : भागवत
देश में एकजुटता का संदेश देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एकता के लिए एकरूपता की जरूरत को नकारते हुए कहा, विविधता में भी एकता है और विविधता एकता का ही परिणाम है।
![]() राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत |
संघ के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों को संबोधित करते हुए उन्होंने हिंदुओं को भूगोल और परंपराओं की व्यापक रूपरेखा में परिभाषित किया और कहा कि कुछ लोग जानते हैं, लेकिन खुद को हिंदू नहीं मानते, जबकि कुछ अन्य इसे नहीं जानते।
भारत आजादी के 75 वर्षों में वह वांछित दर्जा हासिल नहीं कर सका जो उसे मिलना चाहिए था। संघ का उद्देश्य देश को विगुरु बनाना है और दुनिया में भारत के योगदान का समय आ गया है।
संघ प्रमुख ने कहा कि इस कार्यक्रम की विषयवस्तु भौगोलिक नहीं है, बल्कि भारत माता के प्रति समर्पण और पूर्वजों की परंपरा है जो सभी के लिए समान है।
उन्होंने कहा, हमारा डीएनए भी एक है.. सद्भावना से रहना हमारी संस्कृति है।
| Tweet![]() |