अमेरिकी टैरिफ से बंगाल की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका, चमड़ा-सीफूड और इंजीनियरिंग सेक्टर को खतरा

Last Updated 27 Aug 2025 11:26:19 AM IST

अमेरिका का भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क पश्चिम बंगाल की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। हितधारकों का कहना है कि राज्य के श्रम आधारित चमड़ा, इंजीनियरिंग और समुद्री क्षेत्रों को आगामी त्योहारों से पहले काफी नुकसान होने की आशंका है।


रूसी तेल की खरीद के लिए भारतीय उत्पादों पर बढ़ा हुआ शुल्क बुधवार से लागू हो गया, जिससे भारत पर अब कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है।

निर्यातकों ने कहा कि अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न भू-राजनीतिक प्रतिकूल परिस्थितियों से निर्यात और यहां तक कि उत्पादन भी ‘‘फिलहाल रोक दिया गया है।’’

व्यापार अनुमानों के अनुसार, इस कदम से कम से कम 45,000 करोड़ रुपये के भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा और बंगाल सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है।

भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के क्षेत्रीय चेयरमैन (पूर्व) और समुद्री सामान के प्रमुख निर्यातक योगेश गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ श्रम-प्रधान उद्योग भारी दबाव में हैं। समुद्री निर्यात की बात करें तो बंगाल के वार्षिक निर्यात के अधिकतम हिस्से पर इसका असर पड़ सकता है।’’

भारत के समुद्री खाद्य सामान के निर्यात में राज्य का योगदान 12 प्रतिशत है, जिसमें उत्तर और दक्षिण 24-परगना तथा पूर्व मेदिनीपुर जिले से झींगा किस्मों का प्रभुत्व है।

भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (पूर्व) के चेयरमैन राजर्षि बनर्जी ने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल से अमेरिका को होने वाले वर्तमान 8,000 करोड़ रुपये के कुल निर्यात में से, राज्य से कम से कम 5,000-6,000 करोड़ रुपये के समुद्री निर्यात पर सीधा असर पड़ रहा है।’’

गुप्ता ने आगाह किया कि प्रसंस्करण इकाइयों में करीब 7,000-10,000 नौकरियां और कृषि स्तर पर इससे भी अधिक खतरे में हैं क्योंकि आंध्र प्रदेश जैसे राज्य अमेरिका से इतर अन्य बाजारों में बंगाल के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर देंगे।

आंध्र प्रदेश स्थित निर्यातक वर्तमान में अमेरिका पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

चमड़ा उद्योग भी बढ़े हुए शुल्क का खामियाजा भुगत रहा है और अमेरिका इसके सबसे बड़े खरीदारों में से एक है।

भारतीय चमड़ा उत्पाद संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद अजार ने कहा, ‘‘ कोलकाता के पास बंताला चमड़ा केंद्र में ही पांच लाख लोग कार्यरत हैं। केवल भारत और ब्राजील पर ही 50 प्रतिशत शुल्क लगा है जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह दर बहुत कम 19-20 प्रतिशत है। इससे अमेरिका को भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा।’’

अमेरिकी गृह मंत्रालय ने सोमवार को जारी मसौदा आदेश में कहा था कि ‘‘ बढ़ा हुआ शुल्क उन भारतीय उत्पादों पर लागू होगा जिन्हें 27 अगस्त, 2025 को ‘ईस्टर्न डेलाइट टाइम’ (ईडीटी) के अनुसार रात 12 बजकर एक मिनट या उसके बाद उपभोग के लिए (देश में) लाया गया है या गोदाम से निकाला गया है। बशर्ते कि उन्हें देश में उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई हो या 17 सितंबर, 2025 को 12:01 बजे (ईडीटी) से पहले उपभोग के लिए गोदाम से बाहर ले जाया गया हो और आयातक ने एक विशेष ‘कोड’ घोषित करके अमेरिकी सीमा शुल्क को यह प्रमाणित किया हो।’’

ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत के जवाबी शुल्क की घोषणा की थी जो सात अगस्त से लागू हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सात अगस्त को ही रूसी कच्चे तेल की भारत द्वारा की जाने वाली खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने की घोषणा की थी लेकिन समझौते पर बातचीत के लिए 21 दिन का समय दिया था। 
 

भाषा
कोलकाता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment