भारत की बढ़ी ताकत, INS उदयगिरि व हिमगिरी नौसेना में शामिल
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को यहां भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान में दो बहुउद्देशीय स्टील्थ फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को शामिल किया।
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इन युद्धपोतों के डिजाइन और हथियारों में उल्लेखनीय सुधार किया गया है और इन्हें समुद्री सुरक्षा तंत्र में एक महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है।
उदयगिरि और हिमगिरि भारतीय नौसेना के नवीनतम अत्याधुनिक ‘प्रोजेक्ट 17ए’ के तहत बने हैं और इनका जलावतरण ऐसा पहला अवसर है जब दो अलग-अलग शिपयार्ड में निर्मित अग्रिम पंक्ति के दो जंगी पोतों को एक साथ जलावतरण समारोह में शामिल किया गया।
यह घटनाक्रम भारत के पूर्वी तट के बढ़ते समुद्री महत्व को रेखांकित करता है। दोनों फ्रिगेट भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा आंतरिक रूप से डिजाइन किए गए हैं, और विशेष रूप से, उदयगिरि युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां जहाज है, जो स्वदेशी युद्धपोत डिज़ाइन के पांच दशकों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक उदयगिरि और हिमगिरि, परियोजना 17 (शिवालिक) श्रेणी के मध्यम आकार के अनुवर्ती पोत हैं, और दोनों जहाजों में डिजाइन, स्टील्थ, हथियार और सेंसर पण्रालियों में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं, जो गहन समुद्री परिस्थितियों में मिशनों की पूरी श्रृंखला को अंजाम देने में सक्षम हैं।
भारतीय नौसेना ने कहा, दो अत्याधुनिक लड़ाकू प्लेटफॉर्म भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं, जिससे समुद्र में भारत की ताकत और मजबूत होगी..।
उदयगिरि, प्रोजेक्ट 17ए का दूसरा जहाज है और इसका निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। हिमगिरि, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा निर्मित पहला पी17ए जहाज है। दोनों ही युद्धपोत पहले के डिजाइनों की तुलना में बेहद अत्याधुनिक हैं।
उदयगिरि को शुरुआत के बाद निर्मित होने वाला अपनी श्रेणी का सबसे तेज जहाज होने का गौरव भी प्राप्त है, जो भारतीय शिपयार्ड द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर निर्माण पद्धति का परिणाम है। करीब 6,700 टन वजनी पी17ए श्रेणी के फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक श्रेणी के फ्रिगेट्स की तुलना में लगभग पांच प्रतिशत बड़े हैं।
इनमें अधिक सुव्यवस्थित संरचना और कम रडार प्रतिबिंबजैसी उन्नत विशेषताएं शामिल की गई हैं। इनमें भारतीय निर्माताओं द्वारा विकसित उन्नत हथियारों और सेंसरों को भी शामिल किया गया है।
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