चीनी विदेश मंत्री संग बैठक में NSA अजीत डोभाल ने कहा- SCO समिट में शामिल होंगे PM मोदी

Last Updated 19 Aug 2025 01:22:10 PM IST

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आगामी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे।


सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के नये संस्करण में टेलीविजन पर दिये अपने संबोधन में डोभाल ने भारत-चीन संबंधों में ‘‘नयी ऊर्जा और गति’’ के साथ-साथ सीमा पर शांति के महत्व को भी रेखांकित किया।

डोभाल ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध अब और प्रगाढ़ हुए हैं।’’ एनएसए ने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे और इसलिए आज की वार्ता का विशेष महत्व है।’’

यह 31 अगस्त और एक सितंबर को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी की चीनी शहर तियानजिन यात्रा की पहली आधिकारिक पुष्टि है।

डोभाल ने आशा जताई कि 24वीं विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता ‘‘सफल’’ रहेगी।

चीन के विदेश मंत्री मुख्य रूप से डोभाल के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता करने के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे।

वांग की यात्रा को दोनों पड़ोसी देशों द्वारा अपने संबंधों को फिर से बहाल करने के जारी प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिनमें 2020 में गलवान घाटी झड़प के बाद गंभीर तनाव आ गए थे।

विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समग्र स्थिति की समीक्षा के अलावा नये विश्वास-बहाली उपायों पर विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है।

हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटा लिया है, लेकिन सीमा से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को वापस बुलाकर स्थिति को सामान्य किया जाना अभी बाकी है।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर वर्तमान में दोनों देशों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

एनएसए डोभाल ने पिछले साल दिसंबर में चीन की यात्रा की थी और वांग के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की थी। इससे कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूसी शहर कजान में एक बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच विभिन्न संवाद तंत्रों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था।

पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।

गत वर्ष 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।

पिछले कुछ महीनों में, दोनों पक्षों ने संबंधों को बहाल करने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना और भारत द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना शामिल है।
 

भाषा
नई दिल्ली


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