Kaziranga Illegal Mining : प्रतिबंध के बावजूद काजीरंगा के पास अवैध खनन बढ़ा

Last Updated 05 Jun 2025 09:14:05 AM IST

Kaziranga Illegal Mining : केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि शीर्ष अदालत द्वारा 2019 में रोक लगाने के बावजूद असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पास पाकरुप पहाड़ क्षेत्र में अवैध खनन जारी है तथा और तेज हो गया है।


न्यायालय ने 2019 में उद्यान के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में और उसके आसपास खनन और संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा में दुनिया में लुप्तप्राय एक सींग वाले गैंडों की लगभग 65 प्रतिशत आबादी निवास करती है। यह ब्रrापुत्र बाढ क्षेत्र और कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों के बीच एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे का हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी के पूर्व निष्कषरें पर कार्रवाई करते हुए महत्वपूर्ण वन्यजीव आवासों और वन्य परिदृश्यों के क्षरण को रोकने के लिए इस क्षेत्र में खनन और संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

असम में एक अज्ञात सरकारी कर्मचारी की शिकायत और फील्ड स्तरीय सत्यापन के आधार पर, सीईसी ने 30 मई को सुप्रीम कोर्ट को एक नई रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि चार अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के आदेश के बावजूद क्षेत्र में खनन गतिविधियां ’जारी हैं तथा और तेज’ हो गई हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया है, बड़े पैमाने पर खनन जारी है, विशेष रूप से पाकरुप पहाड़ रेंज में, जो एक घोषित वन्यजीव अभयारण्य है और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की दक्षिणी सीमा बनाता है।’ दिसंबर 2024 में सरकारी कर्मचारी से प्राप्त शिकायत में 2019 से 2023 तक की ‘गूगल अर्थ इमेजरी’ और स्थल-विशिष्ट डेटा शामिल थे।

कथित तस्वीरों से पता चलता है कि खनन सुप्रीम कोर्ट के 2019 के प्रतिबंध आदेश के बाद बंद हो गया था लेकिन 2021 के बाद फिर से शुरू हुआ तथा तेज हो गया। असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने पांच फरवरी को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें खनन पट्टों के निलंबन सहित की गई कार्रवाई की रूपरेखा दी गई।

रिपोर्ट ने पुष्टि की कि पत्थर खनन बोजरुरी झरने और उसके आसपास की धाराओं के पास हो रहा है, जो काजीरंगा की ओर बहती हैं। सीईसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) ने वन क्षेत्रों और प्रस्तावित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में ‘दर्जनों’ खदानों के लिए नई अनुमति दी, जो सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध का उल्लंघन है और वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति और केंद्र सरकार से आवश्यक अनुमोदन के बिना यह अनुमति दी गई है।

समिति ने कहा कि केएएसी को ऐसी अनुमति जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। समिति ने सिफारिश की कि पाकरुप पहाड़ क्षेत्र और वन्य जलग्रहण क्षेत्रों में सभी खनन और संबंधित गतिविधियों को तत्काल रोक दिया जाए तथा कोई नया पट्टा न दिया जाए।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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