Maldives Minister Remarks Row: चीन के इशारे पर भारत विरोध महंगा पड़़ सकता है मालदीव को
चीन के मकड़़जाल में उलझी मालदीव की नई सरकार जमीनी हकीकत को जिस तरह नजरंदाज कर रही उसमें वह यह नहीं समझ रही है कि यदि भारत ने अपना हाथ खींच लिया तो मालदीव का हुक्का पानी सब बंद हो जाएगा।
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दवाइयों से लेकर मसालों और यहां तक कि मालदीव के लोग लिखाई पढ़ाई के लिए भी तरस जाएगें। इतना ही नहीं मात्र पांच लाख की जनसंख्या वाले इस आईलैंड़ की अर्थव्यवस्था एक झटके में चरमरा जाएगी। पहले से ही चीन के कर्ज में जकड़़ा मालदीव पाई पाई का मोहताज हो जाएगा। चीन के अंध प्रेम में डू़बी मालदीव की मुइज्जल सरकार की सारी हेंकड़़ी निकल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि चीन समर्थक मुइज्जू सरकार इंडि़या आउट के नारे के दम पर चुनाव जीती थी। सामारिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मालदीव पर चीन की बुरी नजर है। वह आये दिन वहां भारत विरोधी भावनाओं को भड़़काने में लगा रहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वयानबाजी में मालदीव के तीन मंत्रियों की कुर्सी चली गई। भारत की विदेश नीति मालदीव फर्स्ट की हमेशा रही। मालदीव के नये राष्ट्रपति मोइज्जू भारत विरोधी अभियान चलाये हुए हैं ऐसा वह चीन की शह पर कर रहे हैं लेकिन शायद उन्हे याद नहीं है हर संकट में भारत ने मालदीव का सबसे पहले साथ दिया है।
कोरोना महामारी हो या फिर 2014 में सूनामी के बाद का जल संकट हो भारत ने आपरेशन नीर से मालदीव की मदद की। 1988 में तख पलट की कोशिश के दौरान आपरेशन कैक्टस चलाकर भारत के कमांड़ों ने उस प्रयास को विफल कर दिया था। मालदीव पर चीन का कर्ज साढ़े तीन करोड़़ ड़ालर से अधिक का है।
मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक बड़़ा हिस्सा भारत के सैलानियों पर निर्भर करता है। मालदीव की जीड़ीपी का चौथाई हिस्सा भारत का है। देश का एक तिहाई रोजगार भारत पर नर्भर करता है। औसतन हर साल भारत से दो लाख से ज्यादा पर्यटक मालदीव की यात्रा करते हैं। मालदीव के स्वास्थ्य‚ शिक्षा‚ आईटी‚ टूरिज्म सेक्टर में भारतीयों का महत्वपूर्ण स्थान है। आपदाओं का समय रहा हो या फिर मालदीव की सुरक्षा का भारत ने एक अच्छे पड़़ोसी के रूप में सबसे पहले खड़़ा रहा है। अस्पतालों में रेनोवेशन से लेकर रोड़ प्रोजेक्ट में भारत लगातार मदद करता रहा है।
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