गारंटी के साथ,2024 में फिर से PM बनेगें मोदी !
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मोदी के गारंटी की जीत हो गई। इस चुनाव परिणाम से तीनों राज्यों के स्थानीय नेताओं के साथ-साथ बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व भी बहुत खुश है। ऐसे में एक गारंटी और दी जा सकती है। वह गारंटी पीएम मोदी को लेकर है।
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2024 के लोकसभा चुनाव में ना सिर्फ भाजपा की बम्पर जीत होने जा रही है बल्कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार फिर से, देश के प्रधानमंत्री बनेगें। यह गारंटी नाहक नहीं है। तमाम तथ्यों, साक्ष्यों, भाजपा और कांग्रेस की रणनीति ,उन दोनों पार्टियों के चुनाव प्रचार के तौर-तरीकों और दोनों पार्टियों के सोशल मैनेजमेंट को लेकर मंथन करने के बाद मोदी के तीसरी बार पीएम बनने की गारंटी दी जा रही है। लेकिन यह गारंटी पूरी होने के लिए कुछ शर्तें भी हैं। जिन्हें बीजेपी को पूरा करना होगा। इस खबर को ध्यान से पढ़ना होगा ताकि आप सब भी उन शर्तों को भलीभांति जान सकें जिसकी बदौलत मोदी के तीसरी बार पीएम बनने की गारंटी दी जा रही है।
सबसे पहले बात करते हैं, हिंदी भाषी तीन राज्य, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम की। चुनाव परिणाम पूर्व एग्जिट पोल के नतीजों के तहत तमाम एजेंसियों ने जो आकंड़े दिए थे, उनमें से अधिकांश एजेंसियों के आंकड़े फेल साबित हुए। बहरहाल इन चुनाव परिणामों को लेकर बहुत कुछ लिखा जा चुका है, बहुत कुछ कहा जा चुका है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह बनी। जी हां,एग्जाम्पल के तौर पर बीजेपी पहले से ही इन चूनावों में दस में से आठ नंबर लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी। जबकि कांग्रेस दस नंबर में से दो नंबर लेकर चुनाव लड़ रही थी। इन आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस को ज्यादा मेहनत करनी चाहिए थी, जबकि ज्यादा मेहनत की प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम के बाकी सदस्यों ने।कुछ माह पहले कांग्रेस ने हिमाचल और कर्नाटक विधान सभा का चुनाव जीता था। कांग्रेस ने उसे जीत मान लिया था और बहुत दिनों तक उसी जीत का गाथा गाती रही जबकि सही मायनों में जनता ने उन दो चूनावों में कांग्रेस को सफलता दिलाकर उस जीत को एक संजीवनी समझ कर और ज्यादा मेहनत करने का संदेश दिया था। कांग्रेस से वहीं सबसे बड़ी गलती हो गई। उसने उसे संजीवनी ना समझ कर जीत समझ लिया और उसका जश्न मनाने में लगी रही।
जबकि भाजपा ने उन दो राज्यों में मिली हार को एक सबक के रूप में लिया। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया कि भाजपा दस में आठ नंबर लेकर चुनाव में उतरी थी और कांग्रेस दस में से दो नंबर लेकर चुनाव लड़ रही थी। इस हिसाब से कांग्रेस को ज्यादा मेहनत करनी थी, वह भी पूरे होशोहवाश के साथ, लेकिन अधिक नंबर लाने के बावजूद भाजपा हर क्षेत्र में ज्यादा मेहनत करती हुई नजर आयी। पीएम मोदी ने तीनों राज्यों में ताबड़तोड़ रैलियां की थीं। उनकी सोशल मीडिया की टीम ने अलग से मोर्चा संभाल रखा था। क्रिकेट की भाषा में कहें तो कांग्रेस की हर गलत बॉल पर बीजेपी नेता सिक्स मारते दिखे,जबकि कांग्रेस के नेता, सिक्स मारने वाली बॉल पर भी डिफेंस करते नजर आए। कांग्रेस की हर गलत बॉल पर पीएम मोदी खुद ही सिक्स मारते थे, और उनकी पार्टी के बाकी नेता उनके छक्कों की लंबाई की चर्चा जोर-शोर से करते थे। भाजपा की सोशल मीडिया की टीम यह बताने में सफल हो जाती थी कि मोदी से बढ़िया राजनैतिक सिक्स मारने वाला इस धरती पर कोई दूसरा नेता है ही नहीं। कांग्रेस के हारने की दूसरी सबसे बड़ी वजह बनी, उसका घमंड। बात फिर कर्नाटक और हिमाचल के चुनाव से ही इसकी भी शुरुआत हुई। इंडिया गठबंधन बना।
इस गठबंधन से सत्ताधारी बीजेपी के नेता बेचैन हो उठे थे। कुछ समय के लिए देश में इंडिया गठबंधन की चर्चा होने लगी थी। लेकिन कांग्रेस के नेताओं से यहां भी भारी चूक हो गई। उन्होंने बीते विधानसभा चूनावों में इंडिया गठबंधन के साथियों को तवज्जों देना तो दूर, उन्हें साथ भी नहीं लिया। नतीजा यह रहा कि गठबंधन में शामिल, आम आदमी पार्टी, सपा और अन्य दल भी उन चूनावों में अपनी-अपनी ढपली बजाते रहे। अगर कांग्रेस अपने सहयोगी दलों को साथ ले लेती तो शायद कुछ वोट एक दूसरे को ट्रांसफर हो जाते, जो नहीं हो पाया। तीसरी बड़ी गलती, पुराने नेताओं पर हद से ज्यादा भरोसा करना भी रहा। राजस्थान में अशोक गहलोत को ही सबसे बड़ा चेहरा बनाना, मध्यप्रदेश में बूढ़े हो चले कमलनाथ सरीखे नेता से फ्रंटफुट पर जाकर बैटिंग करवाना। जबकि बीजेपी ने किसी भी स्थानीय नेता को फ्रंटफूट पर जाकर बैटिंग करने की इजाजत नहीं दी। पीएम मोदी ने फ्रंटफूट पर बैटिंग करने की जिम्मेवारी खुद ले रखी थी। कुल मिलाकर अगर यही स्थिति 2024 में भी रही तो मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से कोई रोक ही नहीं सकता।
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