महिला आरक्षण बिल का लाभ पाने के लिए 2029 तक करना होगा इंतजार, देरी की वजह जानें
वर्षों से जिस बिल को पारित होने की देश भर की महिलाएं बाट जोह रही थीं, अब उनका सपना पूरा होने वाला है। लेकिन वर्षों से विधायक और सांसद बनने का सपना संजोए सैकड़ों, हजारों नेताओं को भी बहुत निराशा होगी। मसलन सिर्फ उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो यहां की 80 लोकसभा सीटों में से लगभग पच्चीस सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
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ऐसे में आरक्षित सीटों पर सिटिंग सांसदों का अब क्या होगा। जिन-जिन सीटों पर वर्षों से कुछ नेता मेहनत कर रहे हैं, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें कभी टिकट मिल जाएगा तो वो भी सांसद या विधायक बन जाएंगे। बहुत से नेता ऐसे हैं, जो वर्षों से अपने-अपने क्षेत्रों में लाखों रूपए खर्च कर अपनी-अपनी छवि सुधरने की कोशिशों में लगे हुए हैं, वो शायद बहुत चिंतित होंगे। वैसे भी उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर केवल 11 महिला ही सांसद हैं। अब यह तय है कि सिर्फ भाजपा से ही डेढ़ दर्जन से ज्यादा सिटिंग सांसदों के टिकट काटे जायेंगे। महिला आरक्षण बिल को जिस तरह से लगभग सभी दलों का समर्थन मिल रहा है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि यह बिल आसानी से दोनों सदनों से पारित होकर कानून की शक्ल ले लेगा। अगर यह कानून बन गया तो देश भर की विधानसभाओं और उन राज्यों की लोकसभा सीटों की तस्वीर बदल जायेगी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 403 विधान सभा की सीटें हैं, ऐसे में इस कानून के बाद लगभग उत्तर प्रदेश की विधानसभा में लगभग 132 महिला विधायक दिखाई देंगी।
यानि अब तक जो नेता अपने-अपने बेटों को राजनीति में लाने की कोशिश करते थे, अब शायद वो अपनी-अपनी बेटियों या पत्नियों को राजनीति में एंट्री कराने के बारे में सोचने लगेंगे। इसी तरह उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, लेकिन आगामी चुनाव में संभव है कि लगभग 25 महिला सांसद सिर्फ उत्तर प्रदेश से ही चुन कर आएंगीं। इस तरह अब तक सिर्फ पार्टी कार्यकर्त्ता के रूप में कार्य कर रहीं, सैकड़ों हजारों महिलाएं अब बड़ी आसानी से विधायक या सांसद बन पाएंगीं। यानी राजनीति में अब तक जो महिलाएं दूसरों के सहारे या किसी के रहमो कर्मों से आती थीं,अब वो हक के साथ आएंगीं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह हक महिलाओं को 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलेगा या फिर 2029 से मिलना शुरू होगा।
यह तय है कि इस विशेष सत्र में यह बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाएगा। कानून की शक्ल भी ले लेगा। लेकिन पूरे देश की लोकसभा सीटों में से 33 प्रतिशत सीटों को रिजर्व करने में कई तरह की व्यवहारिक दिक्क़तें आएंगीं। परिसीमन आयोग के सदस्य पूरे देश की सीटों का आंकलन करेंगे। उसके बाद राज्यों का परिसीमन होगा। इस काम में बहुत वक्त लगेगा। ऐसे में यह कहना बड़ा मुश्किल है कि महिलाओं का इसका लाभ कब मिलेगा। 2024 के चुनाव में तो दूर-दूर तक संभावना नहीं है। केंद्र की सरकार अगर मन से कोशिश कर लेगी तो संभव है कि 2029 के चुनाव में महिलाओं को इसका लाभ मिल जाए।
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