वैवाहिक बलात्कार : कितना सही कितना गलत
अगर कोई व्यक्ति अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिये मजबूर करता है तो क्या ऐसे में पति को बलात्कार के अपराध के लिए अभियोजन से छूट प्राप्त है?
![]() वैवाहिक बलात्कार : कितना सही कितना गलत |
जब वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया तो प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान पीठ द्वारा कुछ सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद न्यायालय की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ इस पर गौर करेगी।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 (दुष्कर्म) के एक अपवाद खंड की संवैधानिक वैधता चुनौती के अधीन है क्योंकि यह पति को अपनी बालिग पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए दुष्कर्म के तहत मुकदमा चलाने से छूट देता है।
पीठ ने कहा, ‘हमें वैवाहिक बलात्कार संबंधी मामलों को निपटाना होगा।’ पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज सिन्हा भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संवैधानिक पीठ द्वारा कुछ सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई किए जाने के बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे में लाने का अनुरोध करने वाली और आईपीसी के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जो पति को बालिग पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाने की सूरत में अभियोग से सुरक्षा प्रदान करता है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी तथा ‘सामाजिक निहितार्थ’ हैं और सरकार इन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करेगी।
इन याचिकाओं में से एक याचिका वैवाहिक बलात्कार के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 11 मई, 2022 के खंडित फैसले के संबंध में दायर की गई है। एक अन्य याचिका एक व्यक्ति द्वारा कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
| Tweet![]() |