गंगा की सफाई का काम काफी हद तक पूरा!
गंगा की निर्मलता और अविरलता के ‘नमामि गंगे‘ कार्यक्रम को नदी स्वच्छता का एक मॉडल करार देते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने दावा किया कि कुछ प्रारंभिक समस्याओं को दूर करते हुए पिछले आठ वर्षो में नदी की मुख्यधारा पर सफाई का काम लगभग पूरा हो गया है और अब सहायक नदियों पर ध्यान दिया जा रहा है।
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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक कुमार ने कहा, नमामि गंगे मिशन की शुरुआत वर्ष 2014-15 में 20 हजार करोड़ रूपए की लागत से प्रारंभ की गई थी।
नमामि गंगे परियोजना की रफ्तार धीमी होने को लेकर आरोप पर कुमार ने कहा कि वर्ष 2014 में जब कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी तब कुछ समस्याएं थीं जो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), राज्यों में क्षमता निर्माण, भूमि आदि से जुड़ी थीं।
उन्होंने कहा कि लेकिन पिछले दो वर्षों में इसको लेकर काफी काम हुआ है और अभी 3000 एमएलडी जलमल शोधन क्षमता तैयार हो गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 तक 900 एमएलडी जलमल शोधन क्षमता थी और पिछले डेढ़ वर्षों में 2000 एमएलडी से अधिक जलमल शोधन क्षमता तैयार हुई है, जिससे स्पष्ट है कि काफी काम हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस पर अब तक 15 हजार करोड़ रूपए खर्च हुए हैं और 37 हजार करोड़ रूपए की परियोजनाएं मंजूर की गई है। एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि नमामि गंगे मिशन का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसका संचालन ‘हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल’ के तहत होता है जिसमें आधारभूत ढा़ंचे के विकास के लिए 40 प्रतिशत राशि खर्च होती है और इसके बाद शेष राशि 15 वर्षों में प्रदर्शन के आधार पर दी जाती है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हमने गंगा नदी के किनारे स्थित शहरों से निकलने वाले गंदे जल को शोधित करके विद्युत संयंत्रों, तेल शोधक कारखानों, रेलवे आदि को बेचने की पहल की है ।
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