Comment case about collegium system and judiciary : उपराष्ट्रपति, कानून मंत्री के खिलाफ सुनवाई आज
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली और न्यायपालिका के बारे में टिप्पणी को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (Bombay Lawyers Association) की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
![]() केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ |
वकीलों के संगठन ने बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के नौ फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उसकी याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र को लागू करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं था।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट के अनुसार, BLA की अपील न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Ahsanuddin Amanullah) की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। BLA ने दावा किया था कि रीजीजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विास की कमी दिखाई है।
बीएलए ने धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को उपराष्ट्रपति के रूप में और रीजीजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था। एक अपील में, वकीलों के संगठन ने कहा कि उपराष्ट्रपति और मंत्री द्वारा न केवल न्यायपालिका बल्कि संविधान पर ‘हमले’ ने सार्वजनिक रूप से उच्चतम न्यायालय की प्रतिष्ठा को घटाया है।
रीजीजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली ‘अस्पष्ट और अपारदर्शी’ है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था।
धनखड़ ने कहा था कि फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकार संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि ‘हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं।’
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