जब Nitish Kumar को मुम्बई में कहा गया,आइए आपका अभिनंदन है।
जिस राज्य की धरती पर कभी बिहारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया था। बिहारियों ने जिस राज्य की धरती पर कभी न जाने की कसमें खा ली थीं, उसी राज्य में वीरवार को कुछ ऐसा हुआ, जिसके बारे में सुनकर शायद बिहारियों का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा होगा।
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जी हां, हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की। बहुत पुरानी बात नहीं है। महज कुछ वर्षों पहले की बात है। महाराष्ट्र की सड़कों पर और गलियों में बिहारियों को खूब जलील किया गया था। जिन्होंने विरोध करने की कोशिश की थी, उन्हें बेरहमी से पिटा गया था। बिहारी महाराष्ट्र छोड़कर वापस आने लगे थे। माहौल बदला, सरकारें बदली ,धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर आने लगी थीं। बिहारियों ने शायद यह मान लिया था कि महाराष्ट्र में रहना है तो दब कर रहना होगा। लेकिन वीरवार को वहीं के लोगों ने जब एक बिहारी को कहा कि आइए आपका स्वागत है। महाराष्ट्र की धरती पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। तो सोचिये, वहां का महौल कैसा रहा होगा। आप सोच रहे होंगे कि वो कौन बिहारी है जिसे इतनी इज्जत दी गई।
दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार इस समय महाराष्ट्र के दौरे पर हैं ,उनके साथ बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और जेडयू के राष्ट्र्रीय अध्यक्ष लल्लन सिंह भी हैं। वीरवार को जब नितीश कुमार मुंबई स्थित मातोश्री पहुंचे तो वहां का नजारा कुछ अलग ही था। शिवसेना ठाकरे गुट के मुखिया उद्धव ठाकरे ने जिस गर्मजोशी का परिचय दिया वैसी गर्मजोशी शायदआज तक बिहार के किसी भी नेता के स्वागत में नहीं दिखाई दी होगी। उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने बिहार के सभी नेताओं को पहले सम्मनित किया, फिर बैठने के लिए निवेदन किया। उद्धव ठाकरे के स्वागत से गदगद नीतीश कुमार ने उद्धव को गले लगाया। दरअसल नीतीश कुमार इस समय विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि इस प्रयास में वो पिछले आठ नौ महीनों से लगे हुए हैं।
अब तक वो सोनिया गाँधी ,राहुल गाँधी ,मल्लिकार्जुन खड़गे ,शरद पवार ,अरविन्द केजरीवाल ,ममता बनर्जी ,कुमार स्वामी ,हेमंत शोरेन , अखिलेश यादव ,नवीन पटनायक समेत कई नेताओं से मिल चुके हैं। नीतीश कुमार इसी सिलसिले में वीरवार को मुंबई पहुंचे। यहां बता दें कि 1974 में केंद्र की कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए कभी बिहार की धरती से ही आंदोलन शुरू हुआ था, जिसकी अगुवाई बिहार के जय प्रकश नारायण ने की थी। बिहार की राजधानी पटना से शुरू हुआ वह आंदोलन पूरे देश में फ़ैल गया था। लगभग एक महीने तक चले उस आंदोलन के बाद केंद्र की सरकार ना सिर्फ हिल गई थी, बल्कि पहली बार कांग्रेस को बेदखल कर विपक्षी पार्टियों ने मिलकर केंद्र में सरकार बनाई थी।
लालू प्रसाद यादव ,नीतीश कुमार ,रामबिलास पासवान ,सुशील कुमार मोदी जैसे दर्जनो नेता उसी आंदोलन की देन हैं। केंद्र की सरकार यानी भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए भले ही देश की सभी विपक्षी पार्टिया जोर लगा रही हों, लेकिन इस काम में गंभीरता पूर्वक कोई नेता लगा है तो, वह हैं नीतीश कुमार। नीतीश कुमार जिस तरह से लगे हैं, उसे देखकर फिलहाल यही कहा जा सकता कि 2024 में अगर विपक्ष एनडीए की सरकार को हटाने में सफल होता है तो फिर से एक इतिहास बनेगा, और इस इतिहास को दोहराने में सबसे बड़ी भूमिका, फिर से बिहार के एक नेता नीतीश कुमार की होगी।
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