मोदी के कद और राहुल गांधी के विश्वास का परीक्षण होगा कर्नाटक में!
कर्नाटक विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपनी ताकत छोंक दी है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर नहीं है, बल्कि प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की। इस चुनाव में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में राहुल गांधी को मिले अपार समर्थन का हकीकत पता चलने वाला है
![]() rahul gandhi and narendra modi in karnatak |
। उस समर्थन को देखकर राहुल गांधी ने जो दावा किया था कि इस बार कर्नाटक में कांग्रेस की बम्पर जीत होगी ,उस दावे का परिक्षण होने वाला है। दूसरी तरफ प्रधान मंत्री की लगातार हो रहीं रैलियों से, जो जनता खुश हो रही है, उनकी रैलियों जो भीड़ उमड़ रही है ,वो वोट में कितनी तब्दील होगी ,इसका परिक्षण होने वाला है। साथ ही साथ अभी कुछ दिन पहले एक निजी चैनल के सर्वे में कांग्रेस की सरकार बनने का जो अनुमान लगाया गया है, उसकी हकीकत का पता चलेगा।
भारत के दक्षिण राज्यों के विधानसभा के चुनावों की पहले उतनी चर्चा नहीं होती थी। देश के आम लोगों को पता भी नहीं चला पाता था कि वहां कब चुनाव हुए और कब खतम हो गए। इसकी सबसे बड़ी वजह थी वहां भाजपा का सक्रीय ना होना। आमतौर पर दक्षिण भारत में वहां की क्षेत्रीय पार्टियां ही सरकार बनाती थीं। राष्ट्रीय पार्टी के नाम पर वहां कांग्रेस की उपस्थिति पहले से ही थी। जब से भाजपा ने दक्षिण भारत के राज्यों में दखल देनी शुरू की है, तब से वहां के चुनावों की भी चर्चा होने लगी है। हालांकि भाजपा का वहां पहुंचना पार्टी की राजनैतिक मजबूरी थी।
हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा कमोबेश उस स्थिति में पहुँच चुकी है, जो प्रयाप्त है या फिर यूँ कहिये कि अब हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा को जितना पाना था उतना पा लिया है बल्कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा ही पा लिया है। उत्तर प्रदेश हिंदी राज्य के अलावा, वैसे भी विधानसभा और लोकसभा की सीटों के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है। केंद्र की सरकार बनाने में इस राज्य की भूमिका सबसे ज्यादा होती है। रही बात कर्नाटक की तो राहुल गाँधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब कर्नाटक गए थे, तो उन्हें वहां की जनता का अपार समर्थन मिला था। राहुल गांधी ने भी वहां के लाखों लोगों से मुलाक़ात कर न सिर्फ उनकी बातें सुनी थी, बल्कि अपनी यात्रा का मकसद भी बताया था।
उन्होंने वहां की जनता को बतया था कि उनकी यात्रा का मकसद लोगों को बेरोजगारी के बारे में बताना ,महंगाई के बारे में बताना ,यह बताना कि,धर्म और जाति के नाम पर देश में नफरत फैलाई जा रही है। राहुल गाँधी ने जनता से मिले उसी समर्थन के आधार पर दावा किया है कि उनकी पार्टी को इस बार 140 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। दूसरी तरफ हमेशा की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे ही भाजपा अपनी नैया पार लगाने का सपना देख रही है। हालांकि भाजपा की तरफ से कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी भी वहां चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं।
दस मई को कर्नाटक में चुनाव हो जाएंगे। 13 मई को यह पता चल जाएगा कि वहां किसकी सरकार बनती है। लेकिन यह तय है कि कर्नाटक चुनाव का परिणाम बहुत कुछ सन्देश देकर जाएगा। प्रधानमंत्री की ब्रांड वैल्यू का भी पता इस चुनाव परिणाम से चल जाएगा। आदित्य नाथ योगी की हिन्दू वाली छवि कितनी कारगर है, इसका भी पता चल जाएगा। रही बात राहुल गांधी की, तो सबसे बड़ा इम्तेहान यहाँ राहुल गांधी का होना है। अगर यहाँ कांग्रेस की सरकार बन गई तो निश्चित ही राहुल गांधी भी एक ब्रांड बनने की ओर अग्रसर हो जायेंगे। लिहाजा कर्नाटक विधासभा चुनाव परिणामों पर सबकी नजर वैसी ही लगी रहेगी,जैसे अर्जुन की निगाह मछली की आँख पर लगी थी।
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