अतीक और अशरफ के हत्यारों को किसने दी थी 'जिगाना' पिस्टल?
अतीक अहमद और अशरफ के हत्यारोपी तीनों लड़कों ने जिस पिस्टल का इस्तेमाल किया था, वह पिस्टल भारत में प्रतिबंधित है। बावजूद इसके आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद ही कमजोर हत्यारों के पास वह पिस्टल पहुंच गई। तुर्की में बनी पिस्टल का नाम जिगाना है।
![]() तुर्की में बनी पिस्टल जिगाना |
हत्यारोपियों का आपराधिक इतिहास है, लेकिन उनकी खुद की हैसियत इतने महंगे पिस्टल रखने की नहीं है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि उन हत्यारों को किसी बड़े अपराधी गैंग ने या फिर किसी बड़े आदमी ने उन्हें वह पिस्टल उपलब्ध कराई होगी।
तुर्की में बनी इस पिस्टल की कीमत 6 से 7 लाख रुपए है।जांच एजेंसियों ने दावा किया है कि यह पिस्टल पाकिस्तान से पंजाब होते हुए देश के अन्य हिस्सों में पहुंचती है। पंजाब पुलिस ने वहां के गायक सिद्दू मुसेवाला की हत्या में इसी पिस्टल का इस्तेमाल होना बताया था। एक जांच में पता चला था कि पंजाब का रहने वाला जग्गू भगवान पुरिया इस पिस्टल की सप्लाई करता था।
अतीक और अशरफ के हत्यारोपी रोहित उर्फ सनी, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य तीनों इस समय जेल में हीं। इनमे से रोहित उर्फ सनी सुंदर भाटी के साथ हमीरपुर की जिला जेल में रहा। सुंदर भाटी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक कुख्यात अपराधी है। कुछ महीने पहले ही उसे नरेंद्र प्रधान की हत्या के आरोप में गौतमबुद्ध नगर की जिला कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस समय वह सोनभद्र की जेल में बंद है। सुंदर भाटी और सनी का आपस में कितना और कैसा संबंध था, पुलिस इसका पता लगा रही है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि अतीक और अशरफ की हत्या में कहीं सुंदर भाटी का हाथ तो नहीं है।
सुंदर भाटी वाले एंगल को लेकर यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अगर सुंदर भाटी का इसमें हाथ है तो उसकी अतीक से दुश्मनी क्या रही होगी,और यदि अतीक अहमद और सुंदर भाटी में दुश्मनी थी तो अब तक इसका खुलासा क्यों नहीं हो पाया था। संभव है कि ध्यान भटकाने के लिए या जांच को इधर-उधर करने के लिए सुंदर भाटी का इसमें नाम लिया जा रहा हो। उन दोनों की हत्या में किसी और का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। संभव है कि इसमें किसी राजनेता का हाथ हो। अतीक की राजनेताओं से दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही थी। संभव है कि उसके कुछ राजनीतिक दोस्तों ने अपना नाम उजागर होने के भय से उसकी हत्या करवा दी हो। दूसरी तरफ यह भी संभव है उसके राजनैतिक दुश्मनों ने उससे बदला लेने के लिए उसकी हत्या करवा दी हो। यानी इस मामले में सफेदपोशों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
अतीक और अशरफ की हत्या जिस हथियार से हुई है उसे उपलब्ध कराना मामूली लोगों का काम नहीं हो सकता। यह भी संभव है कि अतीक और अशरफ की हत्या करने के लिए उन हत्यारों को किसी ने मोटा पैसा दिया हो। क्योंकि अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि उन हत्यारों की अतीक और अशरफ से कोई दुश्मनी थी और अगर दुश्मनी की बात सामने आ भी गई तो उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि जिगाना पिस्टल को हत्यारे खरीद सकें। उनकी इतनी पहुंच भी नहीं होगी कि कोई उन्हें इतना कीमती हथियार ऐसे ही दे दे।
अतीक और अशरफ रहते तो शायद कुछ बड़े सफेदपोशों के नाम का खुलासा हो पाता लेकिन अब वह संभव नहीं है। अब पकड़े गए आरोपी यह जरूर बता देंगे कि उन्हें वह पिस्टल किसने मुहैया कराई थी, लेकिन ऐसा होगा तब जब पुलिस चाहेगी। अभी मामला ताजा है इसलिए इस पर चर्चा हो रही है। कुछ दिनों बाद लोग भूल जाएंगे। फिर शायद कोई सवाल भी नहीं पूछेगा कि हत्यारोपी कहां हैं और उन्हें किसने पिस्टल दी थी।
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