2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टियां जी जान से जुट चुकी हैं। इस बार का चुनाव कोई पार्टी अपनी साख बचाने के लिए लड़ेगी।
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कोई अपनी राजनैतिक जमीन बचाने के लिए तो कोई अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए चुनाव लड़ेगी। भाजपा के खिलाफ विपक्ष की लगभग सभी पार्टियां एकजुट हो गई। लेकिन चुनाव से पहले बसपा की बहुत बड़ी परीक्षा होने जा रही है। संभव है कि चुनाव से पहले बसपा के कुछ सांसद पार्टी छोड़कर भाजपा या कांग्रेस का दामन थाम लें।
विपक्षी पार्टियों का एक साथ आना किसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना असंभव भले ना हो लेकिन मुश्किल जरूर है। क्षेत्रीय पार्टियों की सबसे बड़ी समस्या, उन्हें अपने पार्टी के वर्तमान सांसदों को बचाए रखने की होगी। 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। दोनों ने मिलाकर 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। जिसमें 11 सीटें बसपा के खाते में आई थीं। जबकि 4 सीटें सपा को मिली थीं। इस बार संभव है कि बसपा के तीन या चार सांसद किसी अन्य पार्टी के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ें।
पार्टी छोड़कर अन्य पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं में मुख्य रूप से अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडे, अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली जबकि जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव हैं। रितेश पांडे के पिता वैसे भी बसपा छोड़कर सपा में जा चुके हैं। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में जलालपुर विधानसभा सीट से सपा के बैनर पर चुनाव लड़ा था। जिसमे उन्हें जीत मिली थी। अभी कुछ दिन पहले रितेश पांडे, अखिलेश यादव से मिले थे। दोनों ने मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाई थीं। उस फोटो को रितेश पांडे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। सोसल मीडिया पर डाली गई उस फोटो की खूब चर्चा हुई थी।
अमरोहा के बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। उन्होंने भी अपनी मुलाकात की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी। उस समय चर्चा होने लगी थी कि दानिश अली मोदी से प्रभावित हैं। वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बसपा के तीसरे सांसद हैं, श्याम सिंह यादव। श्याम सिंह यादव ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उन्होंने राहुल गांधी की प्रशंसा की थी। उस समय उन्होंने बसपा और कांग्रेस के गठबंधन के लिए बात की थी। राहुल गांधी से उनकी नजदीकियां बढ़ती गई थीं।
मायावती इस बात को समझ भी रही हैं और भविष्य की योजनाओं को लेकर वो तैयार भी हैं। शायद इसी वजह से कुछ दिन पहले उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम की तारीफ कर यह संकेत दे दिया था कि वह उस पार्टी के साथ समझौता कर सकती हैं,जो ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की बात करेगी। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के फेवर की बात कर दी थी। क्योंकि कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसने देश के 2 राज्यों हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की है।
अगर चुनाव से पहले मायावती कांग्रेस से गठबंधन कर लेती हैं तो पूरी संभावना है कि जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव बसपा छोड़कर ना जाएं लेकिन कुंवर दानिश अली और रितेश पांडे की गतिविधियों को देख कर ऐसा लगता है कि वह चुनाव से पहले जरूर बसपा छोड़ देंगे। ऐसे में मायावती के
सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने घर को बचाने की होगी।अपने सांसदों को अपनी पार्टी में जोड़े रखने की होगी।
| | शंकर जी विश्वकर्मा | नई दिल्ली |
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