मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस बना सकती है प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार!

Last Updated 01 Apr 2023 04:38:52 PM IST

राहुल गांधी की सांसदी खत्म हो गई है। गुजरात की सूरत कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुनाई है।


(फाइल फोटो)

आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो राहुल गांधी अगले आठ वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि उन्हें अभी सुप्रीम कोर्ट जाना है। कांग्रेस के बड़े नेता, जो बड़े वकील भी हैं, उन सबकी कोशिश रहेगी कि राहुल गांधी को मानहानि के केस से बचा लिया जाय। फिलहाल यह बाद की बात है। अभी मामला दूसरा है। इस समय सबके जेहन में एक ही सवाल घूम रहा है कि अब राहुल की राह क्या होगी।

राहुल गांधी की शारीरिक भाषा में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहे हैं। वो झुकने के मूड में भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी के खिलाफ हुई कार्यवाई का विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों ने विरोध किया है। इन्ही पार्टियों में से कई ऐसे नेता थे, जो पहले राहुल गांधी के समर्थन में खुलकर बयान देने से बचते थे। लेकिन आज सब एक हैं। ऐसे में आसानी से एक मतलब निकाला जा सकता है, और वह मतलब यह है कि विपक्ष की पार्टियों के बहुत से नेता अपने आप को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानकर बैठे थे।

राहुल गांधी की सांसदी चले जाने के बाद सबको विश्वास हो गया है कि अब कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कोई दावेदारी नहीं करेगा। उधर कांग्रेस को पता है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि में जो गुणात्मक सुधार हुआ है उसका फायदा कैसे उठाना है। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार भली-भांति जानती है कि 2024 में अगर मोदी के सामने कोई चुनौती पेश कर सकता है तो सिर्फ राहुल गांधी या फिर कांग्रेस पार्टी।

विपक्ष की तमाम पार्टियां क्षेत्रीय हैं। कुछ को छोड़कर किसी पार्टी का अपने राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में कोई खास जनाधार नहीं है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को अच्छी तरह पता है कि क्षेत्रीय पार्टियां उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वैसे भी लोकसभा का चुनाव होता है तो देश के वोटरों का मिजाज बदल जाता है। जो वोटर विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन करता है उसी में से अधिकांश वोटर लोकसभा चुनाव में अपना मन बदल लेता है।

2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है भाजपा के लिए। क्योंकि भाजपा को अपनी साख बचानी है। उसने जिस इमेज को स्थापित किया है, उसे बरकरार रखना है। लिहाजा 2024 का लोकसभा चुनाव उसके लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, जबकि कांग्रेस तो वैसे भी अपनी खोई हुई जमीन को तलाश रही है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद कुछ हद तक उसने अपनी जमीन तैयार भी कर ली है, लेकिन उस जमीन पर फसल उगाने से पहले ही उसका मुखिया यानी राहुल गांधी अब चुनाव से दूर हो गए हैं।

इस समय देश में अंडरकरेंट है, और वह बीजेपी के लिए है। इस बात को भाजपा भी समझती है, और कांग्रेस तो समझ ही रही है।
राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे। ऐसे में सारा विपक्ष मिलकर भी ऐसा कोई अपना नेता नहीं बना पाएगा जो मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा। विपक्ष का ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं होगा जिसकी पार्टी अकेले दम पर 100 लोकसभा की सीट जीत कर आए।  ऐसे में राहुल गांधी के बगैर विपक्षियों का एक होना अभी दूर की कौड़ी ही साबित हो रही है। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस को जो अपार समर्थन मिला है, राहुल गांधी की छवि में जो गुणात्मक सुधार हुआ है, उसे इतनी आसानी से कांग्रेस  अपने हाथों से जाने देगी नहीं।

पूरी संभावना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दे।  कांग्रेस अगर ऐसा कर देती है तो निश्चित तौर पर न सिर्फ भाजपा की मुश्किलें बढ़ जायेंगीं। बल्कि आज विपक्ष जो राहुल गांधी के साथ एक साथ खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है वह भी खड़गे का खुलकर विरोध नहीं कर पाएगा। कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक बनकर तैयार है। बस इंतजार रहेगा सुप्रीम में जाने के बाद उसका फैसला आने तक।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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