कनवर्टेड मुस्लिम और ईसाइयों को नहीं मिलना चाहिए अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ - विहिप

Last Updated 06 Mar 2023 08:24:13 PM IST

आरएसएस से जुड़े संगठन विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू धर्म के दलित समुदाय से कनवर्टेड होकर मुस्लिम और ईसाई बनने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिलने की मांग का विरोध करते हुए कहा है कि हिन्दू दलितों को मिल रहे आरक्षण के लाभ में कोई बंटवारा नहीं होना चाहिए।


विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार

एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुस्लिम समुदाय के साथ मेल मिलाप की कोशिशों के तहत लगातार बैठकें कर रहा है। भाजपा मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए लगातार देशभर में आउटरीच कार्यक्रम चला रहा है। यहां तक कि केंद्र सरकार ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग का भी गठन कर दिया है, वहीं विश्व हिंदू परिषद ने कनवर्टेड मुस्लिम और ईसाइयों को अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ नहीं मिलने को लेकर मोर्चा खोल दिया है।

ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या मुस्लिम और ईसाइयों के मसले पर आरएसएस, विहिप, भाजपा और सरकार अलग-अलग किनारे पर खड़े हैं ? इस सवाल का जवाब देते हुए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद अलग-अलग किनारे पर नहीं है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार का मसला सरकार जाने लेकिन जहां तक विहिप का सवाल है उनका यह स्पष्ट मानना है कि मुस्लिम और ईसाई समुदाय को ओबीसी आरक्षण सहित अन्य कई लाभ मिल रहे हैं और कनवर्टेड मुस्लिम और ईसाइयों को अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ बिल्कुल नहीं मिलना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 'धर्मांतरण और आरक्षण' विषय पर 4 और 5 मार्च को आयोजित दो दिवसीय कॉन्क्लेव की जानकारी देते हुए आलोक कुमार ने बताया कि विहिप देशभर में सभी राजधानियों में इस तरह का कॉन्क्लेव करेगा। उन्होंने कहा कि विहिप तो बालकृष्णन आयोग के सामने जाकर अपनी बात रखेगा ही लेकिन वो अन्य लोगों और संस्थाओं से भी आयोग के सामने जाकर इस मांग का विरोध करने की अपील करता है।

विहिप नेता ने कहा कि आरक्षण कोई चैरिटी नही, संविधान में स्पष्ट तौर पर यह बताया गया है कि किस जाति को अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ मिलेगा, इसलिए जैसा है वैसा ही चलते रहना देश हित में है और इस व्यवस्था में परिवर्तन या बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि वैसे भी मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग यह दावा करते हैं कि उनके यहां जाति व्यवस्था नहीं है तो फिर आरक्षण की मांग क्यों? इसलिए मुस्लिम और ईसाइयों को जो मिल रहा है वो पर्याप्त है और जो हिंदुओ को मिल रहा है वो उन्हें मिलते रहना चाहिए, उसमें बंटवारा उन्हें मंजूर नहीं है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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