भारत ने रूस से आयातित एलएनजी का डॉलर में भुगतान किया

Last Updated 27 Mar 2022 11:04:30 AM IST

देश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल (इंडिया) लि. ने रूस की गैजप्रॉम से आयातित तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का भुगतान अमेरिकी डॉलर में किया है।


दो सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यदि भुगतान यूरो या किसी अन्य मुद्रा में मांगा जाता है, तो कंपनी विनिमय दरों में ‘निरपेक्षता’ की मांग करेगी।

गेल का गैजप्रॉम से सालाना 25 लाख टन एलएनजी के आयात का अनुबंध है। इस लिहाज से कंपनी को हर महीने तीन से चार कार्गो या सुपर-कूल्ड प्राकृतिक गैस की खेप जहाज से मिलेगी।

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने कहा, ‘‘गैजप्रॉम के साथ अनुबंध में डॉलर में भुगतान का प्रावधान है।’’ एलएनजी का कार्गो मिलने के पांच से सात दिन में भुगतान बकाया हो जाता है। अंतिम भुगतान 23 मार्च को डॉलर में किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि 25 मार्च को भी जहाज के जरिये एलएनजी की खेप मिली है। इसका भुगतान अप्रैल की शुरुआत में करना होगा। ‘‘इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि इस कार्गो का भुगतान अमेरिकी डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा में करना होगा।’’

एक अन्य सूत्र ने बताया कि अभी तक भुगतान डॉलर में किया जा रहा है और इसमें कोई समस्या नहीं आ रही हैं। गैजप्रॉम ने अभी तक गेल को भुगतान के तरीके में बदलाव के बारे में कोई सूचना नहीं दी है।

सूत्रों ने बताया कि आखिरी भुगतान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के जरिये किया गया। जून, 2018 में गैस की आपूर्ति शुरू होने के बाद से ही एसबीआई के जरिये भुगतान किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि यदि गैजप्रॉम के भुगतान को यूरो में चाहने की खबरें सही साबित होती हैं, तो इस बात की समीक्षा करने की जरूरत होगी कि अनुबंध में मुद्रा में बदलाव कैसे किया जाएगा।
 

भाषा
नयी दिल्ली


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