फर्जी दुर्घटना दावों के मामला : सुप्रीम कोर्ट ने अंकुश के लिए मांगे सुझाव

Last Updated 16 Dec 2021 11:00:55 PM IST

एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश में 2015 से 2021 तक नकली मोटर दुर्घटना दावों को दर्ज करने के संबंध में कम से कम 92 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिसमें 28 वकील आरोपी के यप में शामिल हैं।


सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत को बताया गया कि अब तक विभिन्न जिलों में कुल 92 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 55 मामलों में 28 अधिवक्ताओं को आरोपी बनाया गया है। एसआईटी ने कहा कि 25 मामलों में अब तक 11 अधिवक्ताओं के खिलाफ आरोपपत्र संबंधित निचली अदालत को भेजे जा चुके हैं।

न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने तब केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि प्रतिक्रिया या सुझाव मिलने के बाद शीर्ष अदालत इस मामले में निर्देश जारी कर सकती है, जो पूरे भारत में लागू होंगे।

एसआईटी ने सफीक अहमद के मामले में शीर्ष अदालत के आदेश के बाद एक रिपोर्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से अब तक संदिग्ध दावों के कुल 1,376 मामले प्राप्त हुए हैं।

पीठ ने कहा, "हम एसआईटी के जांच अधिकारी से संदिग्ध फर्जी दावों के संबंध में विभिन्न बीमा कंपनियों से पहले से प्राप्त शिकायतों की जांच में तेजी लाने का आग्रह करते हैं।"

पीठ ने एसआईटी को एक और हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा, जिसमें बताया गया है कि कितने मामलों में चार्जशीट दाखिल किए गए हैं और कितने मामलों में संबंधित मजिस्ट्रियल कोर्ट द्वारा आरोप तय किए गए हैं।

शीर्ष अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश सरकार को भी आरोपी वकीलों के खिलाफ कानून के अनुसार जल्द से जल्द अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने को कहा।

एसआईटी की ओर से पेश वकील को सुनने के बाद पीठ ने कहा, "हमारी राय है कि झूठे/धोखाधड़ी दावा याचिका दायर किए जाने के खतरे को रोकने के लिए कोई और निर्देश जारी करने से पहले, हमारे पास परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार से उपचारात्मक और निवारक उपायों व सुझावों पर विचार किया जा सकता है।"

पीठ ने रजिस्ट्री से कहा कि वह परिवहन मंत्रालय को पार्टी-प्रतिवादी के रूप में पेश करे और नोटिस जारी करे।

मामले में आगे की सुनवाई की तारीख 25 जनवरी तय करते हुए पीठ ने कहा, "हम भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से अनुरोध करते हैं कि वे परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से पेश हों और अदालत की सहायता करें।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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