दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को अनुमति! किसान नेताओं का दावा, दिल्ली व हरियाणा पुलिस के साथ किसानों की बनी सहमति

Last Updated 24 Jan 2021 01:49:37 AM IST

किसानों की 26 जनवरी को निकाली जाने वाली ट्रैक्टर परेड के लिए पुलिस अपने बैरिकेड हटाएगी। दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने को लेकर पुलिस और किसानों की सहमति बन गई है।


अमृतसर से शनिवार को ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली के लिए कूच करते किसान।

दूसरी तरफ समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार दिल्ली पुलिस ने कहा है कि अभी अनुमति नहीं दी गई है और इस बारे में अभी बातचीत जारी है। किसान पांच अलग-अलग स्थानों से ट्रैक्टर परेड निकालेंगे और यह परेड पूरे दिन जारी रहेगी। पुलिस को किसानों ने आश्वस्त किया है कि ट्रैक्टर एक स्थान पर रुककर सड़क को अवरूद्ध नहीं करेंगे और परेड का पूरा कार्यक्रम हर तरह से शांतिपूर्ण ही रहेगा।  ट्रैक्टर परेड का रूट किसान रविवार को जारी करेंगे। पुलिस के साथ सहमति बनाने के लिए रूट में आंशिक बदलाव किया गया है। हालांकि किसान नेता अभी इस तरह की कोई बात कहने से बच रहे हैं और उनका यही कहना है कि अभी पूरा रूट फाइनल नहीं किया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा पुलिस भी ट्रैक्टर परेड के लिए बैरिकेड हटाने पर सहमत हो गई है। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टरों की संख्या एक लाख के करीब होने के मद्देनजर पांच अलग-अलग स्थानों से ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी और कोई भी परेड दूसरी परेड को प्रभावित नहीं करेगी। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य ने कहा कि पांच अलग-अलग स्थान वो हैं जहां किसान धरने पर बैठे हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या आउटर रिंग रोड पर परेड निकालने का रूट कुछ परिवर्तित किया गया है तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, रूट रविवार को जारी किया जाएगा।

सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने बैठक तक नहीं की
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अपील के बावजूद किसानों ने डेढ़ साल कृषि कानून स्थगित रखने संबंधी प्रस्ताव पर शनिवार को अपनी कोई बैठक नहीं की। एक दिन पहले कृषि मंत्री ने इस पर किसानों से शनिवार को बैठक करके जवाब देने के लिए कहा था। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने भी पूछने पर कहा कि अभी ट्रैक्टर परेड को लेकर ही किसानों की व्यस्तता रही है, इसलिए अन्य किसी विषय पर विचार नहीं किया गया। सरकार सोच रही थी कि उसके कड़े रुख से किसान दबाव में आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए भी वक्त नहीं निकाला।

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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