कोरोना की जांच में भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज, लक्षण नहीं फिर भी वायरस अधिक

Last Updated 02 Sep 2020 02:39:43 AM IST

भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के बिना लक्षण वाले मरीजों तथा किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस की मात्रा के बीच एक कड़ी होने का पता लगाया है।


कोरोना की जांच में भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज, लक्षण नहीं फिर भी वायरस अधिक

तेलंगाना में कोविड-19 के 200 से अधिक रोगियों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई जो नीति निर्माताओं को नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बारे में बेहतर जानकारी दे सकती है।

हैदराबाद में सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स के वैज्ञानिकों समेत अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने बिना लक्षण वाले मरीजों के प्राथमिक और द्वितीय स्तर के संपकरें का पता लगाकर उनकी जांच कराने और फिर उन पर निगरानी रखने की सलाह दी है।

मृत्यु दर बढ़ने का खतरा ज्यादा
सीडीएफडी की लैबोरेटरी ऑफ मॉलिक्यूलर ओंकोलॉजी से मुरली धरण बश्याम ने कहा कि बिना लक्षण वाले रोगियों से संक्रमण की आशंका समझना या ऐसा समझ लें कि जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है उनसे संक्रमण ऐसे लोगों में फैलना जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी मजबूत नहीं है तो मृत्यु दर बढ़ने का खतरा होता है। अध्ययन के नतीजों पर प्रतिरक्षा विज्ञानी सत्यजीत रथ ने कहा कि वह बिना लक्षण वाले लोगों में वायरस की मात्रा (वायरल लोड) अधिक होने का पता चलने से हैरान हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार मई अंत से जुलाई तक एकत्रित नमूने पहले इकट्ठे किए गए नमूनों की तुलना में बिना लक्षण वाले मरीजों के अधिक अनुपात को इंगित करते हैं। अध्ययन में सामने आया कि लक्षण वाले संक्रमण के मामलों का संबंध बिना लक्षण वाले मामलों की तुलना में अधिक सीटी मूल्य से यानी वायरस की कम मात्रा (वायरस लोड) से है। रीयल टाइम पीसीआर जांच में एक चमकदार सिग्नल से परिणाम पता चलता है और सीटी (साइकिल थ्रेशोल्ड) मूल्य उस चमकदार सिग्नल को एक सीमा को पार करने के लिए जरूरी चक्करों की संख्या है।

भाषा
नई दिल्ली


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