पैंगोंग लेक : चीन को करारा जवाब, भारतीय सेना ने स्पंगगुर और तीन पहाड़ियों को लिया कब्जे में
भारतीय सेना ने चीन के मंसूबों पर पानी फेरते हुए पैंगोंग लेक के दक्षिणी भाग में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
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1962 में भारत ने चीनी आक्रमण में जिस स्पंगगुर गैप को खोया था उसे भारतीय सेना ने शनिवार की रात हासिल कर लिया। भारतीय सेना ने पैंगोंग लेक के दक्षिण में तीन पहाड़ियों और रिज पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर दी। साथ ही किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में सैनिकों को एलएसी की तरफ भेजा है। साथ में सैन्य साजो-सामान भी तैनात किया हुआ है। दूसरी तरफ चीन ने भी बड़ी संख्या में अपनी तैयारी की हुई है।
1962 के युद्ध के बाद दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा तय हुई थी। चूंकि ये रेखा परिभाषित नहीं है इसलिए जिस क्षेत्र पर जो बैठा है, उसे मान लेता है। जहां कोई नहीं है, उसे ग्रे एरिया घोषित किया गया। चीन इसका फायदा उठाकर ग्रे एरिया पर कब्जा करता जा रहा है। इस बार भी वह पैंगोंग लेक के दक्षिणी भाग पर कब्जा करने की मंशा से आया था। 1962 के बाद से इस तरफ की कुछ पहाड़ियां ग्रे एरिया में आती हैं। यहां भारतीय सेना की चुशूल यूनिट पेट्रोलिंग करती थी, लेकिन 1962 के बाद से नहीं कर पाई। गत शनिवार को जब चीनी सेना इस ग्रे एरिया पर कब्जा करने के मकसद से घुसी तो भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया और इन पहाड़ियों पर अपनी स्थिति मजबूत कर दी।
1962 के युद्ध के बाद झील के उत्तर में फिंगर-8 और दक्षिण में स्पंगगुर को एलएसी माना गया था। गत चार और पांच मई की दरमियानी रात को चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा में बदलाव करने के मकसद से घुसपैठ की थी। चीनी सेना पैंगोंग लेक के फिंगर-4, गलवान घाटी, गोगरा पोस्ट और डेप्संग प्लेन में घुसपैठ करने की कोशिश की, जिसके चलते 15-16 जून की रात को गलवान घाटी में दोनों सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 43 जवान मारे गए थे।
दरअसल, चीनी सेना फिंगर-8 से फिंगर-4 पर जम गई है। गत 4 अप्रैल से पहले दोनों सेनाएं पेट्रोलिंग करती थीं, लेकिन 4 अप्रैल के बाद चीनी सेना ने भारतीय सेना को फिंगर-4 से आगे बढ़ने से रोक दिया है। कई दौर की बैठकों के बाद भी चीनी सेना पीछे हटने के बजाय फिंगर-4 की रिज पर बैठ गई है। 29 और 30 अगस्त की आधी रात को चीन ने पैंगोंग लेक के दक्षिण क्षेत्र में फिंगर-4 के समानांतर कब्जा करने की कोशिश की है। उसका मकसद था कि जिस तरह से उसने फिंगर-4 तक कब्जा कर लिया है इसी तरह से झील के दक्षिण तरफ भी कब्जा करके अपना दावा मजबूत कर देगा। भारतीय सेना ने उसका मकसद भांप लिया और चीनी सेना को पीछे खदेड़ते हुए स्पंगगुर गैप को अपने कब्जे में ले लिया। इस र्दे पर भारतीय सेना की मौजूदगी के बाद चीनी सेना नहीं घुस पाएगी।
चीन तिलमिलाया
भारत की तरफ से आक्रामक प्रतिक्रिया होने पर चीन तिलमिला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बाद आज भारत स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत ने एलएसी पार की है और चीनी नियंत्रण वाले क्षेत्र पर कब्जा किया है। उन्होंने अपील की कि भारत जल्दी से जल्दी अपने सैनिकों को पीछे हटाए। दूसरी तरफ चीन के नियंत्रण वाले मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने धमकी दी है कि एलएसी विवाद का अंत भारत की हार के साथ होगा।
चीन ने उकसाने वाली कार्रवाई की : भारत
एलएसी पर चीन के साथ तनाव के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने एक बार फिर उकसावे की कार्रवाई की और पहले से हुई आपसी सहमति का उल्लंघन किया। विदेश मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि चीन ने एलएसी पर एकतरफा यथास्थिति बदलने की कोशिश की जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। विदेश मंत्रालय के अनुसार सेना ने सही समय पर उचित जवाब दिया। मंत्रालय के अनुसार इस तरीके की उकसावे की कार्रवाई दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच एलएसी को लेकर जो सहमति बनी है उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने की उच्च स्तरीय बैठक
सीमा पर चल रहे गतिरोध को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में तीनों सेनाओं के चीफ, एनएसए अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और सीडीएस बिपिन रावत मौजूद थे। बैठक में चीन की तरफ से संभावित कार्रवाई और उसके जवाब के लिए रणनीति बनी। उधर, चुशूल में भी दोनों सेनाओं के बीच फ्लैग मीटिंग चल रही है। इस मीटिंग में सीमा पर शांति बहाली और चार अप्रैल से पहले की स्थिति बनाए रखने पर बातचीत चल रही है।
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