जबरदस्त घेराबंदी की बदौलत चीनी सेना को खदेड़ा
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंतण्ररेखा पर भारतीय सेना की जबरदस्त घेराबंदी के कारण ही रविवार रात चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश न केवल नाकाम हो गई, बल्कि उसे उल्टे पांव पीछे लौटना पड़ा।
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चार और पांच अप्रैल को गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद से भारतीय सेना ने दौलत बेग ओल्डी से लेकर लद्दाख के पैंगोंग त्सो लेक तक जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है ताकि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सके । इतना ही नहीं भारतीय सेना की मदद के लिए वायु सेना ने लेह स्थित एयर बेस पर सुखोई निक तैनात किए हुए हैं जबकि अंबाला एयर बेस पर तैनात राफेल लड़ाकू विमान उड़ान भरने को तैयार बैठे हैं। 10 सितम्बर से राफेल भी एलएसी की चौकसी पर लगा दिए जाएंगे।
एलएसी पर सेना के 50 से 7000 जवान एकत्र हैं। इस पूरे क्षेत्र में विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं और तापमान शरीर को जमा देने वाला है। इसके बावजूद सेना के जवान ताल ठोंककर दुश्मन का मुकाबला करने को तैयार बैठे हैं। भारतीय सेना के मुताबिक, 29 और 30 अगस्त की दरम्यिानी रात को चीन ने पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी भाग से घुसपैठ करने की कोशिश की। यह पहला मौका है, जब चीन दक्षिण की तरफ आया है। अभी तक चीन ने गलवान घाटी पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 यानी गोगरा पोस्ट, हॉट स्प्रिंग, फिंगर 8 और फिंगर 4 में ही घुसपैठ की कोशिश की थी।
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर गतिरोध खत्म करने के लिए लगभग चार महीने से भारत और चीन के बीच कमांडर और राजनयिक स्तर की बैठक हो रही है। कुल मिलाकर अब तक करीब 25 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में दोनों पक्षों ने चार अप्रैल से पहले की यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन चीन सहमत होने के बावजूद भी पीछे हटने से मुकरता रहा है। अभी चीन की सेना कोबरा पोस्ट और फिंगर 4 के रिज एरिया में बैठी हुई है। भारतीय सेना की चौकसी को देखते हुए उसने बड़ी चालाकी से रात के अंधेरे में पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी छोर पर कब्जा करने की कोशिश की। वह अपने साथ गोला-बारूद और स्थाई रूप से टिकने के लिए टेंट लगाने का सामान लगभग 200 सैनिकों के साथ लाए थे। उसका तर्क है कि उत्तर में फिंगर 4 के समान अंदर दक्षिण में उसका दावा है।
असल में चीन 59 स्थानों पर दावा करता रहा है, जहां भारतीय सेना भौतिक रूप से मौजूद नहीं है। इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी और वापस जाना पड़ा। चीनी हरकत से नाराज होकर भारतीय फौज ने फ्लैग मीटिंग का आह्वान किया था, जिस पर दोनों पक्ष चुशूल में बैठकर मंथन कर रहे हैं। यदि चीन पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी भाग में आया तो फिर धीरे-धीरे लेह की तरफ बढ़ेगा। अभी पैंगोंग त्सो लेक दोनों के बीच सीमा का काम कर रही है।
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