परशुराम की सबसे भव्य प्रतिमा हम लगाएंगे : मायावती

Last Updated 10 Aug 2020 02:03:13 AM IST

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अबकी बार उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर सपा की तुलना में वह परशुराम की भव्य प्रतिमा लगाएगी।


बसपा प्रमुख मायावती

भविष्य में क्षत्रिय, वैश्य समाज के संतों और महापुरुषों की भी प्रतिमा लगाई जाएगी। भगवान परशुराम एवं अन्य जातियों व धर्मो के संतों, गुरुओं और महापुरुषों के नाम पर बड़ी संख्या में आधुनिक अस्पताल और कम्युनिटी सेंटरों का निर्माण कराया जाएगा। इन सेंटरों में लोगों के ठहरने के लिए जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।
बसपा प्रमुख ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। इलाज और लोगों के ठहरने के इंतजामों में तमाम तरह की खामियां हैं, इसलिए उनकी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर महापुरुषों के नाम पर अस्पताल और कम्युनिटी सेंटर्स बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार बार बसपा की सरकार रही है। इस दौरान महान संतों, गुरुओं और महापुरुषों के नाम पर उन्हें आदर-सम्मान देने के उद्देश्य से अनेक जनहित की योजनाएं शुरू की गई थीं। साथ ही कुछ नए जिलों के नाम भी उनके नाम पर रखे गए थे। इनमें से अधिकतर का सपा की सरकार ने अपनी जातिवादी मानसिकता और द्वेष की भावना के कारण नाम बदल दिया, लेकिन फिर से बसपा की सरकार आने पर उन्हें तुरंत बहाल किया जाएगा। सपा सरकार द्वारा लिया गया इस तरह का फैसला उनकी पार्टी के मुखिया की दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता होने को दर्शाता है। अब सपा खासकर ब्राह्मण समाज के वोटों की खातिर अपने राजनीतिक स्वार्थ में परशुराम की ऊंची प्रतिमा लगाने की बात कर रही है। उसे यह काम अपने शासनकाल में करवा देना चाहिए था, लेकिन अब चुनाव नजदीक आते देखकर ऐसी बात कर रही है। सपा की हालत बहुत खराब हो रही है। ऐसे में ब्राह्मण समाज उनके साथ कतई जाने वाला नहीं है। वैसे भी सपा के शासन में उनका शोषण बहुत हुआ है। सपा की तुलना में बसपा परशुराम की भव्य प्रतिमा लगाएगी। भविष्य में क्षत्रिय, वैश्य समाज के संतों और महापुरुषों की भी प्रतिमा लगाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि आजकल राम मंदिर निर्माण के नाम पर काफी राजनीति की जा रही है, जो कतई उचित नहीं है। यह मामला केवल धार्मिक आस्था और भावनाओं से जुड़ा है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी। अच्छा होता कि वे अपने साथ दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले राष्ट्रपति को भी ले जाते। इससे दलित समाज में अच्छा संदेश जाता। भूमि पूजन को लेकर कुछ दलित संत चिल्लाते रहे कि उनकी उपेक्षा की गई है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बसपा का मानना है कि रामराज के कोरे गुणगान से यहां की जनता का कोई भला नहीं होना वाला है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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