महामारी ने हर छह में से एक युवा का छीना काम
कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते दुनियाभर में प्रत्येक छह में से एक युवा बेरोजगार हो गया है।
महामारी ने हर छह में से एक युवा का छीना काम |
जिनका रोजगार बचा है उनके काम के घंटों में औसतन 23 फीसद की कटौती हो गई है। कोरोना संकट का सबसे बुरा असर 15 से 24 वर्ष के युवाओं पर पड़ा है जिनके बेरोजगार होने की बड़ी आशंका पैदा हो गई है।
कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में लागू किए गए लॉकडाउन पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने बुधवार को आईएलओ मॉनिटर का चौथा एडिशन जारी किया। यह एडिशन भारी निराशा पैदा करने वाला है। फस्र्ट ऑफ मॉनिटर के मुताबिक अप्रैल के बाद दुनियाभर में बेरोजगारी की दर बढ़ी है। आर्थिक स्थिति खराब हुई है और युवाओं के मन पर बुरा असर पड़ा है।
कोरोना वायरस के कारण युवाओं को तीन तरह से झटका लगा है। पहला रोजगार, दूसरा अशिक्षा और तीसरा प्रशिक्षण। इन सबका असर सबसे ज्यादा 15 से 24 वर्ष के युवाओं पर पड़ा है क्योंकि यही उम्र है जब युवा शिक्षा ग्रहण करता है, प्रशिक्षण लेता है। इसके बाद नौकरी की तलाश में बाजार में निकलता है। इस संकट की घड़ी में ये युवा इन सभी चीजों से वंचित हो गया। इसका असर मनोवैज्ञानिक तौर पर भी पड़ रहा है। आज विश्वभर में 15 से 24 उम्र के युवाओं की संख्या लगभग 26 करोड़ है। आईएलओ का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान अब तक अनुमानित 30.5 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। बेरोजगारी दर युवतियों में ज्यादा बढ़ी है। उनका औसत 31 फीसद है जबकि युवा पुरु षों का फीसद 14 है। बेरोजगारी का सबसे ज्यादा असर 91 फीसद निम्न आय वर्ग देशों पर पड़ा है। इनमें 93 फीसद अफ्रीका में और निम्न मध्यम आय वर्ग देशों में जिसमें भारत भी शामिल है, 85 फीसद युवाओं का रोजगार छीना है।
भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में प्रवासी मजदूरों पर सबसे बुरा संकट आया है। आफिस बंद होने, सीमाएं सील होने के कारण 70 फीसद युवा अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं। इन युवा प्रवासियों की औसत उम्र 30 वर्ष है। कोरोना के कारण विश्वभर में काम के घंटों में अप्रत्याशित तौर पर कटौती हुई है जिसका औसत करीब 23 फीसद है। अमेरिका में 13 फीसद, यूरोप और मध्य एशिया में 13 फीसद काम के घंटों में नुकसान हुआ है। भारत में काम के घंटों में करीब 11 फीसद की कमी हुई है।
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