वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जोरों पर

Last Updated 29 May 2020 05:26:45 AM IST

सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा है कि देश में वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जोरों पर है और अक्टूबर तक कुछ कंपनियों को इसकी प्री क्लीनिकल स्टडीज तक पहुंचने में सफलता मिल सकती है।


वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जोरों पर

राघवन ने कहा कि वैक्सीन बनाने की कोशिश तीन तरह से हो रही है। एक तो भारत खुद कोशिश कर रहा है। दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है और तीसरा भारत नेतृत्व कर रहा है और विदेशी कंपनियां हमारे साथ काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में वैक्सीन बनाने की चार पद्धतियां हैं और भारत इन चारों पद्धतियों का इस्तेमाल वैक्सीन बनाने में कर रहा है।
राघवन ने बताया कि भारत में 30 ग्रुप कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जिनमें से 20 की प्रगति बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा कि यह बात देश को समझनी होगी कि वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और बनने के बाद भी सबसे बड़ी चुनौती यह रहेगी कि क्या यह सभी व्यक्तियों को सुलभ होगी। राघवन ने कहा कि वैक्सीन बनाने में 10 से 15 साल लग जाते हैं और उनकी लागत 20 से 30 करोड़ डॉलर आती है। कोरोना के लिए एक साल में वैक्सीन विकसित करने का लक्ष्य है, इसलिए खर्च बढ़कर यानी 20 अरब से 30 अरब डॉलर तक हो सकता है। राघवन ने कहा कि वैक्सीन रोगियों और गंभीर स्थिति में पहुंच गए व्यक्तियों की बजाय सामान्य व्यक्तियों को दी जाती है, इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की गुणवत्ता और सुरक्षा को पूरी तरह से टेस्ट किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन आने तक कोरोना से लड़ने के लिए पांच काम करने चाहिए। पहला खुद को साफ रखें, दूसरा सतह को साफ रखें, तीसरा शारीरिक दूरी का पालन करें और चौथा ट्रैकिंग और टेस्टिंग को निरंतर बढ़ाएं। 

वहीं योजना आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि कोरोना में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल जायज है। रोगियों को अस्पताल से जल्द छुट्टी दिए जाने के बारे में भी उन्होंने साफ किया है कि ऐसा वैज्ञानिकों की सलाह से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रोगियों की जल्द छुट्टी किए जाने से कोरोना के बिस्तरों की अधिक उपलब्धता भी होगी। पॉल ने बताया कि भारत में अब 20 कंपनियां टेस्टिंग किट बनाने लग गई हैं।  जुलाई से हर रोज भारत में 5 लाख किट बनाए जाने लगेंगे और भारत की जरूरत पूरी हो जाने पर इसे दूसरे देशों को भी दिया जा सकता है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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