रामदास अठावले से सहारा समय के सीइओ एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय की बातचीत

Last Updated 28 Mar 2020 12:09:10 AM IST

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री रामदास अठावले से सहारा समय के सीइओ एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय की बातचीत


सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री रामदास अठावले और सहारा समय के सीइओ एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय

सवाल- आप अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री भी आपकी बातों पर खुलकर मुस्कुराए बिना नहीं रह पाते। राम मंदिर निर्माण की बात जब उठ रही थी तब आपने वहां बौद्ध मंदिर बनाने की भी मांग रखी थी और अब गो कोरोना गो के अपने अंदाज के लिए आप पूरी दुनिया में मशहूर हो रहे हैं। आपकी सोच क्या रहती है जब आप इस तरह के नारे और बातें कहते हैं।

जवाब- चीन में जब कोरोना से मौतें हो रही थी तभी मैंने गेटवे ऑफ इंडिया पर चीन के राजदूत के साथ गो कोरोना गो का नारा दिया था। जब मैंने दे दिया था गो कोरोना का नारा, तब जाग गया था देश सारा। कोरोना को हराने के लिए मिलकर लड़ना होगा। ये संसर्ग जनित रोग है इसीलिए हम सभी को सतर्कता बरतनी होगी। मैं जानता हूं गो कोरोना बोलने से कोरोना जाने वाला नहीं है लेकिन पूरी दुनिया ने इस नारे को पसंद किया और ऐसे ही लोगों को जागरूक करना होता है।

सवाल- कई रैपर्स ने आपकी आवाज को लयबद्ध करके कई गीत बनाए जो काफी वायरल हुए। क्या आपने खुद अपने इस तरह के वायरल हुए वीडियोज को देखा है?

जवाब- मैंने सुने हैं लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। हां लोग बताते हैं कि आपका गो कोरोना गो काफी मशहूर हो गया है। मेरा इस नारे के जरिए मकसद सिर्फ इतना था कि कोरोना यहां नहीं आना चाहिए। हमारा देश इससे बचा रहना चाहिए। अब मैंने नारे को गो कोरोना गो के साथ नो कोरोना नो भी बनाया है। यानि जहां कोरोना आया है वहां से जाए और नए मामले सामने नहीं आना चाहिए।

सवाल- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय कुछ चुनिंदा शहरों में भिखारियों के पुनर्वसन पर भी काम करता है। मोदी सरकार की इस प्रयास को लेकर क्या तैयारियां हैं और इसके जरिए आप क्या करना चाहते हैं?

जवाब- मोदी सरकार इसके जरिए बेसहारा लोगों को सहारा देना चाहती है। वंचित लोगों को न्याय और अधिकार दिलवाना चाहती है। देश की 80 से 85 फीसदी आबादी हमारे मंत्रालय के अंतर्गत आती है। जो बेसहारा और अनाथ हैं उन्हें रहने की जगह और सुरक्षा देना हमारा काम है। इस मंत्रालय को बनाने का मकसद ही था कि अनाथ बच्चे, बुजुर्ग, बेसहारा लोगों की मदद की जाए। इसके लिए हम कई एनजीओ की फंडिंग भी करते हैं। अनाथ बच्चों के लिए स्कूलों को भी चलाया जाता है। इन लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा और उद्यम मिले यही हमारा मकसद है। एससीएसटी और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए भी हमारा मंत्रालय काम कर रहा है।

सवाल- कई एससीएसटी छात्र संसाधनों के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। मोदी सरकार एससीएसटी और ओबीसी के लोगों को आगे बढ़ाने की बात करती है। ऐसे छात्रों के लिए आप क्या कर रहे हैं?

जवाब- प्रधानमंत्री मोदी के साफ निर्देश हैं कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्र जो मेरिट में आते हैं लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके लिए काम करना है। हर साल हम ऐसे 100-150 छात्रों को विदेशों में पढ़ाई के लिए भेजते हैं। ये लंदन, अमेरिका, रशिया आदि जैसे देशों के प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई करते हैं। एससीएसटी छात्रों के लिए हमारी स्कॉलरशिप स्कीम पहले से ही है। उच्च शिक्षा के लिए हम हर साल करोड़ों छात्रों की मदद करते हैं। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट से लेकर पीएचडी तक के छात्रों को हमारे मंत्रालय की तरफ से मदद की जाती है।

सवाल- जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर अंबेडकर नवोदय विद्यालय बनाने की जो बात हो रही है। ये काम कहां तक पहुंचा है।

जवाब- ये अभी प्रस्ताव के स्तर तक ही है। जिस तरह नवोदय विद्यालय या केंद्रीय विद्यालय है उसी तरह बाबा साहेब के नाम पर इस तरह का विद्यालय बनाने पर मंथन चल रहा है। हम चाहते हैं कि बच्चों को बिना किसी डोनेशन के अच्छी शिक्षा ज्यादा से ज्यादा मिले। इस प्रस्ताव को लेकर हमारा मंत्रालय बहुत गंभीर है।

सवाल- मुसलमानों को महाराष्ट्र में 5 फीसदी आरक्षण देने की बात उद्धव ठाकरे ने कही। बाद में वो राम मंदिर का दर्शन करने गए और उन्होंने कहा कि हमने बीजेपी को छोड़ा है हिंदुत्व को नहीं इस पर आप क्या कहेंगे क्या शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे से दूर हो गई है?

जवाब- उद्धव ठाकरे हमारे अच्छे मित्र हैं और अच्छे इंसान भी हैं, लेकिन उन्होंने एक गलत कदम उठा लिया है। बाला साहेब ठाकरे ने 25-30 साल जिस बीजेपी के साथ राजनीति की उसी का साथ उद्धव ठाकरे ने छोड़ दिया। वो एक ऐसे मैदान में चले गए हैं जो उनका मैदान है ही नहीं। एनसीपी और कांग्रेस ने उन्हें घेर लिया है और अपने हिसाब से काम करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। बीजेपी को छोड़ने का मतलब ही है हिंदुत्व को छोड़ना। हमारा अब भी आह्वान है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा बीजेपी और आरपीआई का साथ पकड़ना चाहिए यदि उन्हें लंबे समय तक राजनीति करनी है तो।

सवाल- प्रधानमंत्री से आपकी कई बैठकों में मुलाकात होती है और वो आपको पसंद भी बहुत करते हैं। आपके मंत्रालय को लेकर उनकी क्या सोच और क्या अपेक्षाएं हैं?

जवाब- हमारे मंत्रालय को लेकर उनकी सोच हमेशा काफी अच्छी रही है। वो चाहते हैं कि गरीबों का उत्थान हो। उन्हें कच्चे मकानों के बजाए पक्के मकान मिले। उन्हें पीने के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिले। जिनके पास गैस सिलेंडर नहीं हैं उन्हें गैस सिलेंडर देने का प्रयास प्रधानमंत्री का रहता है। इनमें ज्यादातर जरूरतमंद गरीब लोग दलित ही होते हैं और इनके बारे में प्रधानमंत्री जी हमेशा सोचते हैं।

सवाल- प्रधानमंत्री खुद एक गरीब परिवार से हैं और आप भी एक दलित गरीब परिवार से आते हैं। गरीबी क्या होती है और अपने इस दौर के बारे में प्रधानमंत्री से आपकी कभी चर्चा हुई?

जवाब- सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात प्रधानमंत्री कहते हैं। इनमें गरीबों के बारे में सबसे ज्यादा बात होती है। प्रधानमंत्री का विजन हर वंचित को ऊपर उठाने का है। मैं आर्थिक रूप से पिछड़ें सवर्णों को आरक्षण देने की मांग  पिछले 15 साल से उठाता रहा हूं, ताकि सवर्णों को भी न्याय मिले और एससीएसटी और ओबीसी के आरक्षण को भी धक्का न लगे। 2019 के चुनाव के पहले नौकरी और शिक्षा में आर्थिक रूप से पिछड़ें सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय भी सरकार ने लिया। जब क्रूरत अधिनियम के लिए सर्वोच्च न्यायलय ने गलत संदेश दे दिया था तब संसद में हमने एससीएसटी बिल को मजबूत करने का कानून पास किया। इसी तरह दलितों के हितों में हमारी काफी चर्चा होती रहती है और प्रधानमंत्री इनके बारे में काफी अच्छा सोचते हैं।

सवाल- आप हमारी तरह पत्रकार भी हैं। एक पत्रिका के संपादक हैं। आपकी काव्यत्मक शैली को लोग बहुत पसंद करते हैं और उसका आनंद भी लेते हैं। क्या अपनी कविताओं या अन्य विषयों पर लेखन को पुस्तक के रूप में भी आप सामने लाएंगे?

जवाब- मेरी कविताएं किताबों की कविताएं नहीं है लोगों के दिल की कविताएं हैं। किसी विषय पर मैं वहीं बैठे बैठे चार लाइनें लिखता और लोग उसे खूब पसंद करते हैं। मैं इन कविताओं का संग्रह करके नहीं रखता बस दिल की बात को वहीं कह देता हूं।

सवाल- आप बौद्ध धर्म को मानते हैं और बौद्ध धर्म में प्रकृति को ही ईश्वर माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि आप जो प्रकृति से मांगते हैं वो आपको मिलता है। क्या गो कोरोना गो का नारा इसी से प्रेरित है?

जवाब- मैं अंध श्रद्धा वाला व्यक्ति नहीं हूं। बहुत से लोग ईश्वर में विश्वास करते हैं और बाबा साहेब ने भी सभी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी देने की बात कही है। बौद्ध धर्म वैज्ञानिक आधार का धर्म है। मैं ये नहीं कहता कि गो कोरोना गो कोई बहुत बुद्धिजीवियों वाली बात है लेकिन विश्वास में बड़ी ताकत होती है। पहले मैंने ये नारा दिया और अब दुनिया में बहुत से लोग इस नारे को उठा रहे हैं। दुश्मन को भगाने के लिए भी आप जोर से हुंकार भरते हैं। ये नारा भी एक प्रेरणा के लिए हैं। अब चीन में तो एक भी केस नहीं आ रहा है। दुनिया के 110 देशों में ये फैला है लेकिन मुझे विश्वास है कि हम ताकत के साथ खड़े रहे तो ये जरूर भाग जाएगा। गो कोरोना गो कोरोना नो कोरोना नो कोरोना का नारा अब हम दे रहे हैं। मैं कहना चाहूंगा अब जाएगा करोना, तुम मत डरोना। सावधानी बरतने और एक दूसरे को संभालने की जरूरत है।

सवाल- एससीएसटी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति को लेकर विपक्ष का आरोप है कि राज्यों को जितना पैसा दिया जाना चाहिए उतना नहीं दिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि जो निधि राज्यों को दी जानी चाहिए थी वो दे दी गई है। इस विरोध पर आप क्या कहेंगे?

जवाब- देखिए राज्यों के जो प्रस्ताव आते है उन पर केंद्र मंजूरी देता है। हमें राज्यों से कई प्रस्ताव मिलते हैं। पूरे देश में एससीएसटी छात्रों को स्कॉलरशिप मिलती है और इससे उन्हें बहुत फायदा होता है. मैं खुद स्कॉलर शिप लेकर ही पढ़ा हूं। हमारे देश में ऐसे कई गरीब मां बाप है जो 50 से 100 रूपए रोज के कमाते हैं उनके लिए अपने बच्चों को पढ़ाना एक चुनौती है। ऐसे बच्चों के लिए ये स्कॉलरशिप और होस्टल की सुविधा बहुत महत्वपूर्ण होती है।

सवाल- आप मोदी सरकार के पार्ट 1 और पार्ट 2 दोनों में केंद्रीय मंत्री रहे हैं। आपके मंत्रालय का कुल कितना खर्च है या कुल कितना बजट है?

जवाब- हमारे मंत्रालय का साल 2019-20 में 80 हजार करोड़ बजट था और इस साल का बजट 85,000 करोड़ है। इसमें दिव्यांगों के लिए हमारा अलग से 9500 करोड़ का बजट है। हमारे मंत्रालय का अपना बजट 10,000 करोड़ से भी ज्यादा है। तो इस तरह से हमारे मंत्रालय का बजट एक लाख 6 हजार करोड़ से भी ज्यादा का है। हमारे देश का टोटल बजट 30 लाख करोड़ का है। तो इसमें हमारा मंत्रालय बजट के लिहाज से बहुत बड़ा है।

सवाल- जो भिखारियों के पुनर्वास और नशा मुक्ति के लिए केंद्र बनाए जाने थे जिनका चुनिंदा शहरों के अलावा और भी जगह विकास किया जाएगा इसके बारे में आप विस्तार से बताइए कि नशा मुक्ति और भिखारियों के पुनर्वास के लिए जो बजट है वह कितना है और कहां का है इस तरह के काम हो पाए हैं और कहां-कहां इस तरह के काम अभी होने शुरू हुए हैं

जवाब- पूरे देश में इस तरह के काम चल रहा है जो नशा करने वाले लोग होते हैं वह अपने को तो बर्बाद करते हैं अपने घर को भी बर्बाद करते हैं साथ में ऐसे लोगों के लिए हमारा मंत्रालय बहुत से एनजीओस को ग्रांट देता है और आज विभिन्न प्रकार के नशे के आदी लोगों हैं ऐसे लोगों को उन केंद्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है  जिससे बहुत से लोगों में सुधार भी हो जाता है इसी प्रकार भिखारियों को भिक्षा वृत्ति से रोकने के लिए और अनाथ बच्चों को पढ़ाई के लिए रोजगार के लिए विवाह के लिए बहुत से संस्थाएं सहयोग देती हैं उन संस्थाओं को हमारे मंत्रालय से सहयोग दिया जाता है इस प्रकार से बहुत से ऐसे केंद्र हैं जिनको हमारा मंत्रालय सहयोग देता है

सवाल- वरिष्ठ लोगों और वृद्ध जनों को पुनर्वासित करने व सबल बनाने उनको सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए आपका मंत्रालय जल्दी ही कोई नीति बनाने वाला था उसमें किस प्रकार की मदद पहुंचाई जाएगी

जवाब- वृद्ध लोगों की संख्या हमारे देश में बहुत ज्यादा है ऐसे लोगों के लिए ओल्ड एज होम आदि के लिए अपने मंत्रालयों से एनजीओ को ग्रांट दिया जाता है और इसी तरह जैसे 25 यूनिट के लिए हमारे मंत्रालय की तरफ से कम से कम कम 16 सत्रह लाख रुपए एक साथ देते हैं 100 लोगों को तो हम 70-80 लाख रुपए देते हैं इसी तरह वृद्ध लोगों को जिनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों के लिए...

सवाल- वरिष्ठ लोगों और वृद्ध जनों को पुनर्वासित करने व सबल बनाने के साथ उन्हें सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए आपका मंत्रालय जल्दी ही कोई नीति बनाने वाला था। इसमें किस प्रकार की मदद इन लोगों को पहुंचाई जाएगी?

जवाब- वृद्ध लोगों की संख्या हमारे देश में बहुत ज्यादा है। ऐसे लोगों के लिए ओल्ड एज होम आदि के लिए अपने मंत्रालयों से एनजीओ को ग्रांट दिया जाता है। इन लोगों के लिए डे केयर युनिट होते हैं जिनके लिए ग्रांट दिया जाता है। एक युनिय में ऐसे 25 लोग होते हैं। 25 के यूनिट के लिए हमारे मंत्रालय की तरफ से कम से कम सोलह- सत्रह लाख रुपए साल के दिए जाते हैं। इसी तरह 100 लोगों की युनिट के लिए तो हम 70-80 लाख रुपए तक देते हैं। इसी तरह वृद्ध लोगों को जिनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों के लिए भी खाना-पीना कपड़े आदि की व्यवस्था की जाती है, जिससे वे सानंद जीवन व्यतीत कर सकें।

सवाल- दिव्यांग कारीगर और व्यवसायियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार व आप के मंत्रालय ने काफी काम किया है। पर जिस प्रकार अभी अल्पसंख्यक मंत्रालय ने हुनर हाट का आयोजन किया था उससे आपको नहीं लगता कि दिव्यांग कारीगरों और दिव्यांगों को और सशक्त बनाने की जरूरत है। आपका मंत्रालय इस पर क्या कार्य कर रहा है?

जवाब- हां जैसे मैंने बोला हमारे मंत्रालय में दिव्यांगों का बजट 9500 करोड़ है। हम उनको सहायता उपकरण बांटने का काम करते हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार पूरे देश में दिव्यांग जनों की संख्या 2 करोड़ 64 लाख 557 थी। हमारे प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांग जनों के लिए सुगम्य भारत योजना शुरू की है। इसके तहत दिव्यांगों को पेंशन भेजी जाती हैं। हमारे हैंडीकैप्ड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के द्वारा दिव्यांग जनों को छोटे-मोटे धंधे को शुरू करने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। साथ ही हमने 5-6 साल में देश भर में 12 लाख से ज्यादा लोगों को सहायता उपकरण बांटे हैं। ये एक विश्व रिकार्ड भी बन गया है। अभी प्रयागराज में प्रधानमंत्री जी ने 1 दिन में 26000 से ज्यादा लोगों को सहायता उपकरण बांटने का काम किया था।

सवाल- पहले विकलांग या चैलेंज्ड पर्सन शब्द इस्तेमाल होते थे। अब बहुत ही सुंदर दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल होता है। इस शब्द के इस्तेमाल से दिव्यांगों के आत्मविश्वास में कितना फर्क पड़ा?

जवाब- इससे उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया है हालांकि वह मानसिक तौर पर या दिल से अपंग नहीं होते। हां शारीरिक रूप से जो अपंग है, जो सुन नहीं पाते हैं, जो चल नहीं पाते जो देख नहीं पाते जो बोल नहीं पाते उनमें कई और प्रतिभाएं होती हैं। उन्हें अपंग कहना ठीक बात नहीं है। उनमें बहुत हुनर होता है। दिव्यांगों के एक ऐसे ही कार्यक्रम में मैं गया था वहां उनकी बनाई हुई चीजों को बेचने के लिए भी रखा गया था। वहीं एक नेत्रहीन व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई। उसने मेरे सर की बहुत बढ़िया मसाज की। मैंने उनसे काफी बात की और फिर उसने मुझे बताया कि उसे कई ऑर्डर आते हैं। तो ऐसी प्रतिभाओं के विकास की जरूरत है और हमारा मंत्रालय इसके लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री दिव्यांगों की प्रतिभा को विकसित करने के पक्षधर हैं और इसी लिए उनके कौशल विकास पर भी बहुत ध्यान दिया जा रहा है।

सवाल- प्रधानमंत्री ने कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया था। ये उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण मंत्रालय है। आपके कार्यों में इस मंत्रालय का कितना सहयोग है?

जवाब- कौशल विकास मंत्रालय एक अलग मंत्रालय है। हमारा मंत्रालय एससीएसटी के बच्चों की ट्रैनिंग का काम देखता है। उनके लिए जरूरी स्टाइपेंड उन्हें मुहैया करवाया जाता है। किसी कौशल का विकास करने के बाद उन्हें अपना व्यवसाय या रोजगार करने के लिए तैयार करवाना हमारा मकसद है। जबकि कौशल विकास मंत्रालय सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए भी काम काम करता है। हमारे पास एनजीओ अपनी लिस्ट रखते हैं और उसके हिसाब से हम उनकी फंडिंग करते हैं जौ एससीएसटी के बच्चों के लिए होती है।

सवाल- आपने कई नेताओं के साथ काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आप बड़े प्रशंसक हैं। उनकी कार्यप्रणाली के बारे में कुछ बताए और आप उन्हें दूसरे प्रधानमंत्रियों से कितना अलग मानते हैं?

जवाब- अपने राजनैतिक जीवन में मैंने कई नेताओं को देखा। प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने मनमोहन सिंह जी को भी देखा। वो भी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन राजनीति से उनका बहुत जुड़ाव नहीं था। वो स्टेट बैंक के गवर्नर रहे, अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे लेकिन आम आदमी से उनका जुड़ाव नहीं थी। दूसरी और नरेंद्र मोदी बहुत ही उत्साह से काम करने वाले नेता हैं। हर घटक, हर जाति, हर तबके से उनका जुड़ाव रहता है। सबका साथ सबका विकास का नारा तो उनका था ही लेकिन 2019 की सफलता मिलने के बाद उन्होंने सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका विश्वास जीतने का भी काम किया है। हिंदु-मुस्लिम, दलित-सवर्ण सभी को साथ लेकर वो चलते हैं। राजनीति के साथ साथ वो आम लोगों को साथ में जोड़ने का काम भी करते हैं और उनकी समस्याओं पर भी ध्यान देते हैं। वो ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता अभियान को इतनी गंभीरता से लिया। इसके साथ ही घर घर शौचालय का बड़ा अभियान चलाया। मुझे गर्व है कि आज घर-घर शौचालय के साथ पक्का मकान भी गरीबों को देने का काम मोदी सरकार ने किया है। 2 करोड़ लोगों को अभी तक मकान और शौचालय मिला है। 2022 तक जब हम आजादी की 75 वीं सालगिरह मनाएंगे तब सभी के पास पक्का मकान होगा। ये कितनी बड़ी सोच है। प्रधानमंत्री मोदी बाबा साहेब अंबेडकर के आदर्शों और उनके संविधान को बहुत मानते हैं। आज तक किसी प्रधानमंत्री ने संविधान को माथा नहीं टेका था लेकिन मोदी जी ने संविधान को माथा टेका था। सबका साथ सबका विकास की परिकल्पना भी यही है जिसका सपना बाबा साहेब ने देखा था।



सवाल- राहुल गांधी के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

जवाब- वो अच्छे आदमी हैं लेकिन राजनीति में उनकी दिलचस्पी नहीं है। अभी मासूम है और उन्हें राजनीति में उतार दिया गया है। राजनीति में यदि उन्हें परिपक्व होना है तो मोदी जी पर टिप्पणी करने से बचना होगा। जो काम अच्छा होता है उसकी तारीफ करनी चाहिए। अब कोरोना पर इतना काम हो रहा और उस पर भी टीका टिप्पणी शुरू कर दी है। हर बात में मीन मेख नहीं निकालना चाहिए जब अच्छा काम होता है तो तारीफ भी करनी चाहिए। मैं नहीं मानता कि लोकतंत्र में विपक्ष का काम सिर्फ खामियां निकालना ही है। जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो उन्होंने गलत सवाल उठाए जो लोगों को अच्छा नहीं लगा और मोदी पहले से ज्यादा ताकतवर होकर सामने आए। बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं। बीजेपी को भी मैं पसंद करता हूं। आज बीजेपी सिर्फ ब्राह्मणों की पार्टी नहीं है। सब जाति वर्ग के लोग वहां हैं।



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