विपक्ष ने सरकार पर रेलवे का निजीकरण करने का आरोप लगाते हुये गुरुवार को कहा कि यह सिर्फ मुनाफा कमाने का जरिया नहीं है और इसलिए उसे इसे निजी हाथों में नहीं बेचना चाहिये।
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लोकसभा में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रेलवे की अनुदान माँगों पर चर्चा के साथ ही आज बजट पर बहस की शुरुआत हुई। कांग्रेस के एम.के. राघवन ने चर्चा की शुरुआत करते हुये कहा ‘‘रेलवे सिर्फ मुनाफा कमाने का इंजन नहीं है। यह गरीबों की जीवन रेखा है। यह एक तरह से भारत के अंदर दौड़ने वाला छोटा भारत है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे की परिचालन दक्षता में लगातार कमी आयी है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 6.95 प्रतिशत, 2015-16 में सात प्रतिशत, 2016-17 में 1.62 प्रतिशत और 2017-18 में 0.51 प्रतिशत रह गयी।
राघवन ने आरोप लगाया कि रेलवे के मामले में यह सरकार पूरी तरह विफल रही है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में रेलवे पर खास ध्यान नहीं दिया गया है, इसकी उपेक्षा की गयी है।
द्रविड़ मुनेत्रकषगम् के एस.एस. पलानिमणिकम् ने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे का निजीकरण कर रही है। उसे ऐसा करने से बचना चाहिये। सड़क मार्ग, समुद्री मार्ग और एयर इंडिया तक का निजीकरण किया जा रहा है। सिर्फ रेलवे ही बचा है। कम से कम उसका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने पूर्ण रेल बजट की परंपरा दुबारा शुरू करने की माँग की। साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे में स्थायी नियुक्ति की जाये तथा क्षेत्रिय असंतुलन समाप्त किया जाये।
पलानिमणिकम् कहा कि गरीब लोग के हितों को ध्यान में रखते हुये सरकार को छोटी दूरी के ट्रेनों का परिचालन बढ़ाना चाहिये। साथ ही ट्रेनों में अनारक्षित डिब्बों की संख्या बढ़ाने की भी माँग की। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले रेलवे का फोकस यात्रियों पर होता था अब माल परिवहन पर है।
भाजपा के तपिर गाओ ने सरकार से पूर्वोत्तर की रेल परियोजनाओं में तेजी लाने की माँग करते हुये गुरुवार को कहा कि इस क्षेत्र की परियोजनाओं को आर्थिक लाभ की संभावना की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। गाओ ने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए रेलवे की कई परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, लेकिन काम काफी धीमी गति से हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के क्रियान्वयन में पूर्वोत्तर की रेल परियोजनाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि असम के बोंगाईगाँव में रेल कोच फैक्टरी को भी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसका काम भी अब तक शुरू नहीं हुआ है। इसे भी जल्द अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। साथ ही परशुराम कुंड से ब्लांग तक ट्रेन लाइन बिछाने, मांगलदोई को ट्रेन मार्ग से जोड़ने और पूर्वोत्तर में रेफ्रिजरेटर वाली मालवाहक ट्रेन चलाने की भी माँग की।
गाओ ने कहा कि डिब्रूगढ़ से दिल्ली ट्रेन लाइन को पूरी तरह विद्युतीकृत किया जाये। साथ ही पूर्वोत्तर को जाने वाली ट्रेनों में भी नये कोच लगाये जायें।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने रेलवे स्टेशनों की साफ सफाई की सराहना की और सरकार से निजीकरण के बारे में स्पष्टीकरण मांगा और आशंका व्यक्त की कि कहीं रेलवे का हाल एयर इंडिया जैसा नहीं हो जाये। उन्होंने बजट में पर्याप्त आवंटन नहीं होने की शिकायत करते हुए कहा कि रेलवे कभी राज्य सरकार से और कभी सांसद के क्षेीय विकास निधि से पैसे लगाने की बात कहती है जिससे राज्य के बजट बिगड़ रहे हैं। रेलवे के विकास के लिए पूंजीगत निवेश की राशि का पता नहीं है।
सुले ने बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि इस पैसे से महाराष्ट्र लोकल ट्रेनों की दशा सुधारी जाये जिससे रोजाना होने वाली मौतों को रोका जा सके। उन्होंने अवैध एजेंटों पर अंकुश लगाने और रेलवे पुलिस एवं राज्यों की पुलिस के बीच तालमेल बढ़ाने की बात कही। उन्होंने दौंड को शोलापुर मंडल की बजाय पुणो मंडल में जोड़ने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय ने कहा कि अलग रेल बजट लाने की व्यवस्था को पुन: बहाल किया जाये। उन्होंने बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध करते हुए कहा कि मुंबई अहमदाबाद ट्रेन शिन्कान्सेन की गाड़ी की आधी गति से चलेगी। यदि हाईस्पीड ट्रेन चलाना ही है तो दिल्ली से मुंबई या दिल्ली से चेन्नई और दिल्ली से कोच्चि के बीच चलायी जाये। उन्होंने कहा कि रेलवे में कर्मचारियों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। उन्होंने कोलकाता मेट्रो और हावड़ा -सियाल्दाह उपनगरीय रेलसेवा के आधुनिकीकरण किये जाने की मांग की।
प्रो. राय ने निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि भले ही रेलवे का विकास धीमीगति से हो लेकिन उसका निजीकरण नहीं होना चाहिए। स्टेशन के विकास एवं आधुनिक सुविधाओं के लिए परियोजनाएं बना कर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तपोषण कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रेलवे देश का गौरव है और इस गौरव की हर हाल में रक्षा की जानी चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस के श्रीकृष्णा लावू ने आंध्र प्रदेश में रेल सुविधाओं को बढ़ाने की मांग की। उन्होंने विशाखापट्नम एवं चेन्नई के बीच तेजस एक्सप्रेस चलाने, तिरुपति से वाराणसी के बीच नियमित ट्रेन चलाने, विजयवाड़ा गुडूर अमरावती नयी रेललाइन बिछाने की मांग की।
शिवसेना के अर¨वद सावंत ने मुंबई के 75 लाख दैनिक उपनगरीय यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान देने, उपनगरीय रेल नेटवर्क का आधुनिकीकरण करने तथा मुंबई सेंट्रल टर्मिनस का नाम नानाशंकर सेठ के नाम पर करने की मांग की।
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