सम-विषम योजना को शीर्ष कोर्ट में चुनौती
दिल्ली सरकार की ‘सम-विषम’ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह योजना मनमानी और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है तथा ‘राजनीतिक और वोट बैंक के हथकंडे’ के अलावा यह कुछ नहीं है।
यह याचिका नोएडा निवासी एक अधिवक्ता ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की एक नवम्बर की अधिसूचना से मौलिक अधिकारों का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि योजना दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के निवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है। पड़ोसी राज्यों से रोजाना हजारों लोग नौकरी और कारोबार के सिलसिले में अपने वाहनों से दिल्ली आते हैं और लौटते हैं, ऐसी स्थिति में इस योजना से संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) के प्रावधान का हनन होता है।
सम-विषम योजना नागरिकों के अपना व्यवसाय करने, व्यापार और कारोबार करने तथा बगैर किसी बाधा के देश में कहीं भी जाने के मौलिक अधिकार का हनन करती है। सम-विषम योजना के बारे में दिए गए तकरे पर कहा गया है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता के बारे में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित तीन स्रोतों के आंकड़ों ने पुष्टि की है कि पहले भी लागू की गई इस योजना से राजधानी में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई थी।
सम-विषम योजना सिर्फ चार पहिए वाले मोटर वाहनों के लिए है जबकि कारों की तुलना में अधिक प्रदूषण पैदा करने वाले दुपहिया वाहनों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। यह योजना लैंगिक आधार पर महिलाओं और पुरुषों के बीच पक्षपात करती है।
इसके तहत अगर महिला कार चला रही है तो उसे सम-विषम योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि ऐसा लगता है कि पराली जलाने वाले किसानों, राजनीतिक दलों, एयर प्युरीफायर कंपनियों तथा प्रदूषण से बचने के लिए मास्क बनाने वाली कंपनियों के बीच सांठगांठ है।
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