केन्द्र सरकार की ओर से नागा शांति वार्ता को लेकर असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर राज्यों से परामर्श लेने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।
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असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के बुधवार और गुरुवार को प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करने की संभावना है।
सोनोवाल के कुछ अन्य केन्द्रीय मंत्रियों से भी मिलने की संभावना है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक के मुद्दे पर पूर्वोत्तर राज्य में नए सिरे से आंदोलन के बीच सोनोवाल की यह दिल्ली या होगी।
सूत्रों के अनुसार सोनोवाल मोदी और शाह से बातचीत करेंगे और उन्हें उल्फा ओर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफल) जैसे असम स्थित संगठनों के साथ शांति वार्ता की प्रगति के बारे में जानकारी देंगे। गृह मंत्रालय ने असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर राज्यों में नागा क्षेत्रों से संबंधित मामलों पर उन्हें ‘विश्वास’ में लेने का आश्वासन दिया है। इसलिए नागा शांति वार्ता पर बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी।
नागा संकट को दूर करने के लिए 1997 में एनएससीएन (आईएम) के साथ बातचीत शुरू हुई थी। मोदी सरकार ने विभिन्न नागा समूह को नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रूप्स (एनएनपीजीएस) के बैनर तले एका कर बातचीत में भगीदारी को व्यापक कर दिया है और एनएससीएन के अलावा सभी के साथ बातचीत शुरू की है।
वर्ष 1997-98 में केंद्र की इन्द्रकुमार गुजराल सरकार, 2004 से 2004 के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-1 की वाजपेयी सरकार, 2004 और 2014 के बीच मनमोहन सिंह और 2014-19 मोदी सरकार के दौरान नागा शांति वार्ता का दौर जारी रहा लेकिन फिलहाल इस संकट का समाधान नहीं किया जा सका है।
शांति वार्ता पिछले 31 अक्टूबर को ‘सकारात्मकता’ के साथ समाप्त हुई और इसके बाद नागा शिविर में खुशी देखी गयी थी। इसबीच अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के भी शीघ्र ही यहां आने की संभावना है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल 30 अक्टूबर को शाह से मुलाकात कर इस बात पर जोर दिया कि राज्य की क्षेत्रिय अखंडता को नहीं बिगड़ा जाना चाहिए।
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