टेरर फंडिंग पर भारत ने यूएन में दिखाई सख्ती

Last Updated 11 Oct 2019 05:12:13 AM IST

भारत ने आतंकियों और आतंकी समूहों को अन्य देशों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष वित्त पोषण की कड़ी निंदा की है और कहा है कि इससे ही वह आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे पाते हैं।




यूएन में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव/कानूनी सलाहकार येड़ला उमाशंकर

महासभा की छठी समिति की बैठक में यूएन में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव/कानूनी सलाहकार येड़ला उमाशंकर ने बुधवार को यह बात कही। बैठक का विषय था ‘अंतराष्ट्रीय आतंकवाद को खत्म करने के उपाय’।
उमाशंकर ने कहा कि आतंक के वित्तपोषण को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र तथा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफटीएफए) के बीच सहयोग बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, राज्यों की ओर से आतंक को पैदा करने वाले संसाधनों के प्रवाह को रोकने की जरूरत है और इसके लिए लिए उपक्षेत्रीय स्तर तथा क्षेत्रीय स्तर पर सामूहिक अंत: देशीय प्रयास करने होंगे। आतंक के वित्त पोषण से लड़ने और उसे रोकने के लिए वैश्विक मानक तय करने में एफएटीएफ की महत्वपूर्ण भूमिका है और संयुक्त राष्ट्र को ऐसी संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश या उनकी मशीनरी की ओर से आतंकी समूहों या आतंकियों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से वित्तीय सहायता पहुंचाने की भारत कड़ी ¨नदा करता है। इसी वजह से आतंकी समूह आतंकी गतिविधियों से जुड़े आपराधिक मामलों में अपना बचाव कर पाते हैं। भारत की टिप्पणी उस पृष्ठभूमि में आई है जिसमें पाकिस्तान ने संरा सुरक्षा परिषद की आतंक निरोधी समिति से अनुरोध किया था कि मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को बुनियादी खच्रे के लिए वह उसके बैंक खाते से पैसा निकालने की इजाजत दे। सईद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित किया हुआ है। उसे आतंक के वित्त पोषण के एक मामले में इस वर्ष 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।
उमाशंकर ने कहा, संरा महासभा में बीते एक दशक से वैश्विक आतंक निरोधी रणनीति (जीसीटीएस) को लेकर चर्चा हो रही है लेकिन जमीन पर इसका कुछ विशेष प्रभाव नहीं रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से बनाई गई प्रतिबंध समिति धुंधली कार्य प्रणाली और फैसले लेने पर राजनीति हावी होने के कारण चयनित रूप से निशाना साधने का औजार बनकर रह गई है। उन्होंने भारत के इस दृढ़ विश्वास को दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मजबूत कानूनी आधार देगा और आतंक निरोधी प्रयासों में बहुपक्षीय तथा सामूहिक पैमाने का होना सभी सदस्य देशों के हित में होगा।

भाषा
संयुक्त राष्ट्र


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