UAPA संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर
किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान वाले गैर कानूनी गतिविधि निरोधक संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019 पर शुक्रवार को संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा ने इसे मत विभाजन के जरिये पारित कर दिया जबकि लोकसभा ने इसे 24 जुलाई को मंजूरी दे दी थी।
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राज्यसभा ने विधेयक को आज 42 के मुकाबले 147 मतों से पारित किया। इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को व्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला बताते हुए इसे विस्तृत समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की लेकिन सदन ने इस आशय के प्रस्ताव को 85 के मुकाबले 104 मतों से खारिज कर दिया।
विधेयक में व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान के दुरूपयोग होने की आशंका को निर्मूल ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए ऐसा करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कानून में यदि इस तरह का प्रावधान 2009 में रहा होता तो कोलकाता पुलिस द्वारा पकड़ा गया कुख्यात आतंकवाद यासीन भटकल कभी नहीं छूट पाता और आज एनआईए की गिरफ्त में होता।
शाह ने कहा कि हमें इस बात को समझना होगा कि व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का क्या मतलब है?
उन्होंने कहा कि ये बड़े जटिल तरह के मामले होते हैं जिनमें साक्ष्य मिलने की संभावना कम होती है। ऐसे मामले अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय किस्म के होते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि संस्था व्यक्ति से बनती है। शाह ने कहा कि उनका भी यही तर्क है कि संस्था व्यक्ति से बनती है, संगठन के संविधान से नहीं।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मामले में प्राय: यह देखने में आया है कि एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने पर व्यक्ति दूसरा संगठन खोल लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद संगठन नहीं, व्यक्ति करता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने शाह से स्पष्टीकरण पूछते हुए कहा कि इस विधेयक में किसी व्यक्ति को किस स्थिति में आतंकवादी घोषित किया जायेगा, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक में कुछ अस्पष्टता अवश्य है लेकिन यह स्थिति की जटिलता के कारण है।
उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि हम यह कहें कि पूछताछ के बाद किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करेंगे तो इस शर्त पर हम हाफिज सईद या दाऊद इब्राहिम को कैसे आतंकवादी घोषित कर पायेंगे, क्योंकि उससे पूछताछ करना अभी संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि परिस्थितिजन्य आधार पर यह तय किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के बाद भी कई स्तर पर समीक्षा होगी।
उन्होंने कहा कि चार स्तर पर इसकी समीक्षा होगी। इसलिए इसे लेकर शंका नहीं की जानी चाहिए।
वर्तमान सत्र में यह तीसरा मौका है जब राज्यसभा में सरकार ने समुचित संख्या बल नहीं होने के बावजूद विवादास्पद विधेयक को पारित कराया है। इससे पहले आरटीआई कानून में संशोधन और तीन तलाक संबंधित विधेयकों को राज्यसभा में मतदान के दौरान सरकार को सफलता मिली थी।
इस विधेयक में एनआईए द्वारा किसी मामले की जांच किये जाने पर एजेंसी के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की के लिये मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिये और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने के लिए अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है।
एनआईए के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिये सशक्त बनाया गया है।
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