वीजी सिद्धार्थ: काफी उगाने वाले का बेटे से इंडिया के 'कॉफी किंग' बनने तक का सफर

Last Updated 31 Jul 2019 10:13:36 AM IST

'कैफे कॉफी डे' एंटरप्राइजेज के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ ने कॉफी की दुकानें चलाने वाले वैश्विक ब्रांड स्टरबक्स के मुकाबले भारत में एक सफल ब्रांड कैफे कॉफी-डे खड़ा किया। उनकी ख्याति एक सफल उद्यमी की रही है।


वीजी सिद्धार्थ (फाइल फोटो)

कॉफी बागान कारोबार में 140 साल से लगे परिवार में जन्मे सिद्धार्थ सेना में जाना चाहते थे लेकिन मैंगलोर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मुंबई में निवेश बैंकर के रूप में काम करना शुरू किया।

1984 में सिद्धार्थ ने बैंगलोर में अपनी निवेश और वेंचर कैपिटल फर्म सिवन सिक्योरिटीज शुरू की। कंपनी के मुनाफे से उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में कॉफी के बागान खरीदे। 

इसी समय, उनकी दिलचस्पी अपने पारिवारिक कॉफी कारोबार में भी बढ़ी। 1993 में उन्होंने अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी। शुरुआत में कंपनी का सालाना कारोबार छह करोड़ रुपये का था। हालांकि धीरे-धीरे इसका कारोबार बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये हो गया।      

जर्मनी की कॉफी रेस्तरां की श्रृंखला चलाने वाली टीचीबो के मालिक के साथ बातचीत करके सिद्धार्थ इतना प्रभावित हुए उन्होंने देश में कैफे की श्रृंखला खोलने का फैसला किया।     

सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) का पहला स्टोर 1994 में बेंगलुरू में खोला। यह अब भारत में कॉफी रेस्तरां की सबसे बड़ी श्रृंखला है। वियना और कुआलालंपुर सहित 200 से अधिक शहरों में इसके 1,750 कैफे हैं।      

सिद्धार्थ, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एसएम कृष्णा के दामाद हैं।    

सिद्धार्थ सोमवार से लापता थे। बुधवार सुबह उनका शव कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रावती नदी से बरामद हुआ। सोमवार शाम से उनकी अप्रत्याशित गुमशुदी के बाद उनका एक पत्र बरामद हुआ था। इस खत में उन्होंने लिखा था कि एक प्राइवेट इक्विटी निवेशक कंपनी की ओर से का उन पर शेयर वापस खरीदने का दबाव है। 

भाषा
नयी दिल्ली


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