महिलाओं के खतना को चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें : बोहरा महिलाएं

Last Updated 06 Feb 2019 03:26:16 PM IST

बोहरा समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने बुधवार को राजनीतिक दलों से आग्रह किया किया कि वे समुदाय में प्रचलित महिलाओं के खतना की प्रथा को खत्म करने के लिए कदम उठाएं और इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्रों में शामिल करें।


बोहरा महिलाएं "महिला खतना के खिलाफ"

‘महिला खतना के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर महिलाओं ने यह आवाज उठायी है। हर साल यह दिन छह फरवरी को मनाया जाता है।     

संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रथा/परंपरा को मानवाधिकार हनन की श्रेणी में रखा है। महिला खतना की शिकार हुई महिलाओं के निजी संगठन ‘वीस्पीकआउट’ की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘तमाम राजनीतिक दल महिला अधिकारों और कन्या शिशु की जीवन रक्षा की बात करते हैं। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि महिला खतना पर उनका रूख क्या है? क्या वे इसे खत्म करेंगे? क्या वह इसपर प्रतिबंध का समर्थन करेंगे। यदि हां, वह हमारा वोट पाने के अधिकारी हैं।’’     

बयान में कहा गया है कि चूंकि इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के घोषणापत्र का हिस्सा होना चाहिए।      

महिला खतना पीड़ित और वीस्पीकआउट की सदस्य मासूमा रानाल्वी का कहना है कि इस साल जब देश में चुनाव होने हैं, वे चाहती हैं कि भारत के सभी नेता बोहरा महिलाओं की अपील सुनें और महिला खतना समाप्त करने के लिए कदम उठाएं।      

वह कहती है कि राजनीतिक दलों को कन्याओं के सम्मान की रक्षा के प्रति और संवेदनशील तथा जवाबदेह होने की जरूरत है। महिला खतन उनके एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए।

    

रानाल्वी ने बताया, ‘‘महिला खतना उन्मूलन खुद को प्रगतिशील बताने वाली पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र में होना चाहिए। जो (दल) सामने आकर इस बर्बर परंपरा को खत्म करेंगे, वही हमारा वोट पाने के अधिकारी होंगे।’’      

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दाउदी बोहरा मुसलमानों में महिला खतना की परंपरा को चुनौती देने वाली याचिका को सितंबर 2018 को पांच सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया था।

भाषा
मुंबई


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