लंबित मामलों, न्यायाधीशों की कमी ने न्यायिक व्यवस्था को कमजोर किया : सीजेआई

Last Updated 04 Feb 2019 07:28:18 AM IST

मामलों के लंबित होने व न्यायाधीशों की रिक्तियों पर चिंता जताते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने रविवार को कहा कि इन दोनों कारकों ने न्यायिक व्यवस्था को अत्यंत कमजोर बना दिया है।


प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई (file photo)

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के अस्थायी भवन का उद्घाटन व स्थायी संरचना की नींव रखते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह समस्या समाधान योग्य है और उन्होंने न्यायाधीशों से व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़ा संकल्प लेने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि तीन करोड़ मामलों के लंबित आंकड़े चिंताजनक हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि 81 लाख मामले सिर्फ एक साल पुराने हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "जब आप समय से मामला दायर करते हैं तो इसमें थोड़ा समय लगता है। इसलिए 81 लाख मामले जो एक साल से कम अवधि के हैं, उन्हें वास्तविक तौर पर लंबित नहीं कहा जा सकता है।"



गोगोई ने कहा कि तीन करोड़ मामलों में से 50 लाख मामले छोटे स्तर के हैं। इसमें मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन, वजन व माप अधिनियम और कानून के उल्लंघन के छोटे मामले शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "मैं उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अपील करता हूं कि इन 50 लाख मामलों से कैसे निपटा जा सके, इसके लिए राय दें।"

उन्होंने 10 साल पुराने 25 लाख मामलों के आंकड़ों को चिंताजनक व परेशानी वाला बताया।

उन्होंने कहा, "यह एक अच्छा संकेत नहीं है। मेरा मानना है कि इस पर गंभीरता से विचार जरूरी है। इन 25 लाख मामलों से प्रतिबद्धता व समर्पण से निपटने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है, ये 25 लाख मामले न्यायपालिका पर धब्बा हैं, इन्हें जल्द से जल्द साफ किया जाना चाहिए।"

आईएएनएस
अमरावती


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