सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने CBI को जारी किया नोटिस

Last Updated 14 Jan 2019 01:15:21 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की, 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में खुद को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सीबीआई को सोमवार को नोटिस जारी किया।


सज्जन कुमार (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अशोक कौल की पीठ ने कुमार की जमानत याचिका पर भी नोटिस जारी किया।     

उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर के अपने फैसले में कुमार को ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसी फैसले के अनुरूप 73 वर्षीय कुमार ने 31 दिसंबर, 2018 को एक निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।    

कुमार को दिल्ली छावनी के राज नगर पार्ट-1 इलाके में एक-दो नवंबर, 1984 को पांच सिखों को मार डालने और एक गुरुद्वारा जलाए जाने के मामले में दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई।     

ये दंगे 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद भड़के थे।     

मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कुमार ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।     

उच्च न्यायालय ने कुमार को आपराधिक साजिश रचने, हत्या के लिए उकसाने, धर्म के नाम पर विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने वाले कृत्य करने और एक गुरुद्वारे को अपवित्र और क्षतिग्रस्त करने का दोषी पाया था।    

अदालत ने मामले में कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और कृष्ण खोखर को दोषी ठहराने और सजा देने के निचली अदालत के फैसले को भी बरकरार रखा।     

अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि 1984 के दंगों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में करीब 2,700 सिख मारे गए थे। अदालत ने इसकी व्याख्या ‘अविश्वसनीय अनुपात के नरसंहार’ के तौर पर की थी।     

अदालत ने कहा था कि ये दंगे ’मानवता के खिलाफ अपराध’ थे और कानून लागू करने वाली एजेंसियों की मदद से उन लोगों द्वारा किए गए जिन्हें ’राजनीतिक संरक्षण’ प्राप्त था।     उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को बरी करने के निचली अदालत के 2010 के फैसले को रद्द कर दिया था।

भाषा
नयी दिल्ली


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